Surya Grahan 2024: 8 अप्रैल 2024 यानी आज लगने वाला सूर्य ग्रहण इस साल का पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण (Total Surya Grahan 2024) होगा, हालांकि ये भारत में दिखाई नहीं देगा. सूर्य और चंद्र ग्रहण हर साल आते हैं. विज्ञान की दृष्टि में ये मात्र एक खगोलीय घटना है लेकिन आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही क्षेत्रों में इसका काफी महत्व है.


क्या आप जानते हैं कि ग्रहण का ज्ञान सबसे पहले एक सनातनी ने दिया था. हिंदू धर्म के वेद में इसका जिक्र मिलता है. आइए जानते हैं किस वेद में मिलता है सूर्य ग्रहण का वर्णन ? कौन थे वो ऋषि जिन्होंने दी ग्रहण की जानकारी.


किस ऋषि ने सबसे पहले दिया ग्रहण का ज्ञान ?


ग्रहण का ज्ञान देने वाले प्रथम आचार्य महर्षि अत्रि (Rishi Atri) माने गए हैं. खगोल शास्त्र की महत्वपूर्ण खोज (सूर्य ग्रहण) इन्होंने ही की थी. प्राचीन भारत में महर्षि अत्रि बहुत बड़ा वैज्ञानिक भी माना जाता है. अत्रि ऋषि भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र थे. कहा जाता है कि आसमान में टिमटिमाते तारों से लेकर अज्ञात ग्रहों तक के अध्ययन में उन्हें अद्भुत ज्ञान प्राप्त था.


किस वेद में ग्रहण का वर्णन ? (Surya Grahan in Veda)


वैदिक शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के खगोलीय ज्ञान की जानकारी हमारे पूर्वजों ने हजारों साल पहले ही दे दी थी. उनके अनुसार वेदांग ज्योतिष में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है.  ऋग्वेद (Rigveda) के एक मंत्र में सूर्य ग्रहण का वर्णन करते हुए लिखा है - "हे सूर्य ! असुर राहु ने आप पर आक्रमण कर आपको अंधकार के आगोश में ले लिया. उससे मनुष्य आपके रूप को पूर्ण रूप से देख नहीं पाए. तब महर्षि अत्रि ने अपने अर्जित ज्ञान से इस छाया को हटाकर सूर्य का उद्धार किया."


सूर्य ग्रहण का प्रभाव


सनातन धर्म के शास्त्रों में सूर्य ग्रहण का विस्तार से महिमा मंडन किया गया है. शास्त्रों के अनुसार ग्रहण न सिर्फ मनुष्य बल्कि सभी जीव-जंतुओं, नदियों और सागर पर भी गहरा असर डालता है. पूर्ण सूर्य ग्रहण जब होता है तब सूर्य की रोशनी पृथ्वी पर नहीं पहुंचती और दोपहर में ही अंधेरा छा जाता है. ऐसे में प्रकृति विपरित रूप से कार्य करना शुरू कर देती है.


सूर्य ग्रहण कब लगता है ?


सौर मंडल में सूर्य केंद्र में है और सभी ग्रह इसकी परिक्रमा लगाते हैं. जब चंद्रमा घूमते-घूमते सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है तो सूर्य की चमकती रोशनी चंद्रमा के कारण दिखाई नहीं पड़ती चंद्रमा के कारण सूर्य पूर्ण या आंशिक रूप छिप जाता है तब सूर्य ग्रहण लगता है.


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