Surya Grahan 2022, Solar Eclipse 2022: पंचांग के अनुसार सूर्य ग्रहण प्रारंभ हो चुका है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साल का आखिरी सूर्य ग्रहण बेहद अहम माना जा रहा है. विज्ञान के अनुसार जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक ही सीध में आ जाते हैं सूर्य ग्रहण लगता है.लेकिन इसके पीछे कुछ पौराणिक कथाएं भी हैं. मान्यता है कि राहु केतु के कारण ग्रहण की स्थिति बनती है. ग्रहण से जुड़ी पौराणिक कथा क्या है? आइए जानते हैं.


सूर्य ग्रहण की कथा (surya grahan katha)
सूर्य ग्रहण को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है. इस कथा के अनुसार जब देवताओं और दैत्यों के बीच समुद्र मंथन शुरू हुआ तो उसमें से अमृत का कलश भी निकला. 
देवताओं और दैत्यों में अमृत कलश को लेकर विवाद शुरू हो गया. देवताओं को चिंता थी कि यदि अमृत दैत्यों ने पी लिया तो दैत्य अमर हो जाएंगे और हर जगह इनका राज्य हो जाएगा. तब भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप रखा और दैत्यों से अमृत का कलश लेकर देवताओं को अमृतपान कर दिया. 
लेकिन देवताओं की पक्ति में स्वरभानु नाम का एक राक्षस भी रूप बदलकर छिप कर बैठ गया. चंद्रमा और सूर्य ने स्वरभानु को पहचान लिया और भगवान विष्णु को पूरी बात बता दी, यह बात सुनकर तुरंत विष्णु भगवान ने सुर्दशन चक्र से स्वरभानु का सिर धड़ से अलग कर दिया. 
लेकिन तब तक अमृत की बूंद गले से नीचे उतर चुकी थी. इसलिए सिर और धड़ अलग हो जानें के बाद भी जीवित रहा. बाद में सिर राहु और धड़ केतु बन गए. राहु केतु इसी बात का बदला लेने के लिए चंद्र और सूर्य पर समय समय पर आक्रमण करते हैं. इसी क्रिया को ग्रहण कहते हैं.


सूर्य ग्रहण का समय (Surya Grahan 2022 Timing)
साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भारत में आंशिक तौर पर दिखाई देगा. भारत में यह शाम 4 बजकर 22 मिनट से शुरू होगा और सूर्यास्त के समय 6 बजकर 32 मिनट पर खत्म होगा.आज सूर्य ग्रहण होने की वजह से गोवर्धन पूजा का पर्व 26 को और यम द्वितीया 27 अक्टूबर को मनाई जाएगी.


इस बात का रखें ध्यान
मान्यता है कि सूर्य ग्रहण के बाद स्नान करने के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए. इससे ग्रहण का प्रभाव समाप्त हो जाता है. ऐसी भी मान्यता है कि ग्रहण के समय हानिकारक विकिरण की स्थिति बनती है, जो सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं. इसलिए पवित्र नदी में स्नान करने पर जोर दिया जाता है.


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