धर्म: कैसे पाएं आवागमन के चक्र से छुटकारा? आखिर कैसे प्राप्त होता है मोक्ष?
धर्म: असली मोक्ष इस शरीर के रहते ही पाया जा सकता है और पाया जाना चाहिए. इच्छाओं से सम्पूर्ण निवृत्ति मात्र ही मोक्ष है.
धर्म: मोक्ष की अवस्था केवल परिकल्पना बनकर रह गई है, क्योंकि लोगों को लगता है मोक्ष कोई ऐसी अवस्था है, जो शरीर के समाप्त होने के बाद ही प्राप्त होती है. दरअसल, असली मोक्ष इस शरीर के रहते ही पाया जा सकता है और पाया जाना चाहिए. इच्छाओं से सम्पूर्ण निवृत्ति मात्र ही मोक्ष है. आइए जानते हैं आखिर क्या है मोक्ष. इसकी प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिए प्रयत्न?
मोक्ष ऐसी दशा है जिसे मनोदशा नहीं कह सकते. इस दशा में न मृत्यु का भय होता है और न संसार की चिंता. सिर्फ परम होश, परम आनंद और परम शक्तिशाली होने का अनुभव ही मोक्ष है. ध्यान के अलावा अभी तक ऐसा कोई रास्ता नहीं मिला जिससे मोक्ष पाया जा सके. लोग सोचते हैं कि आवागमन के बंधन से छुटकारा कैसे मिलेगा? अजीब बात है, न तो आपको अपने आगमन यानी जन्म की स्मृति है और न ही आपको अभी तक अपने गमन यानि मृत्यु का अनुभव है.
न ही आपको अपने पिछले जन्मों के बारे में पता था तो फिर आप स्वयं ही विचार कीजिये कि आपका यह प्रश्न कितना उचित है. उधार के प्रश्न जीवन में क्रांति के आधार नहीं बन सकते हैं. धर्म और आध्यात्मिकता के सही पाठ पढ़ने के लिए अपने जीवन की पाठशाला और पाठों की सत्यता जांचने और परखने के लिए अपने अनुभव की कसौटी ही काम आती है.
एक देहाती कहावत है- ‘अपने मरे बिना स्वर्ग नहीं सूझता’ यह बिल्कुल सही बात है. जब तक हम कोई काम नहीं करते तब तक काम पूरा होने का अनुभव और संतुष्टि नहीं मिलती. आपको भी इन स्थितियों से गुजरना पड़ेगा क्योंकि यह आप भी जानते हैं यह विचार सिर्फ उत्सुकता ही है. आवश्यकता है कि साधना की ऊंचाइयों को छुआ जाए, क्योंकि तभी इस जीवन में अनदेखे-अनजाने रहस्यों से रूबरू हुआ जा सकता है. यदि आप ऐसा कर सकें तो फिर ज्ञान के प्रकाश में आपके भीतर आ रहे अनेकों प्रश्नों के उत्तर स्वतः ही आपको मिल जाएंगे.
वास्तव में जिस दिन, जिस क्षण अपने आवागमन का अनुभव प्रत्यक्ष हो जाएगा, उसी समय आवागमन का चक्र रुक सकता है. अनुभव के बाद साधना करने वाला व्यक्ति, सिद्धों की श्रेणी में आ जाता है और वह चाहे तो इस बंधन से मुक्त होने का मोक्ष की परमानंद की अवस्था में विलीन होने का फैसला ले सकता है या फिर बुद्धों की भांति करुणावश, इस जीवन चक्र से अनभिज्ञ लोगों के लिए, उनके उत्थान के लिए पुनः जन्म लेने का संकल्प लेने का विचार कर सकता है. यही तो मोक्ष है.
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