Lakshmi Puja: लक्ष्मी जी को सुख-समृद्धि और वैभव प्रदान करने वाला माना गया है. शास्त्रों में शुक्रवार का दिन लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए उत्तम बताया गया है. पंचांग के अनुसार 03 सितंबर 2021, शुक्रवार को भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है. 

शुक्रवार के दिन एकादशी तिथि होने के कारण लक्ष्मी जी की पूजा का महत्व बढ़ जाता है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. इस व्रत में भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है. लक्ष्मी जी भगवान विष्णु की पत्नी हैं. इसलिए इस दिन पूजा का महत्व कई गुना बढ़ जाता है.

एकादशी की तिथि कब तक हैपंचांग के अनुसार 03 सितंबर 2021, शुक्रवार को एकादशी की तिथि का समापन प्रात: 07 बजकर 46 पर होगा. इसके बाद द्वादशी की तिथि का आरंभ होगा. एकादशी व्रत का पारण, द्वादशी की तिथि में अगले दिन यानि 04 सितंबर 2021 को किया जाएगा. शुक्रवार के दिन लक्ष्मी जी की पूजा सुबह और शाम के समय करना अच्छा माना गया है. इसलिए एकादशी तिथि के समापन से पूर्व ही पूजा कर सकते हैं.

पूजा विधिमान्यता के अनुसार शुक्रवार को सुबह और शाम, लक्ष्मी जी की पूजा करने शुभ माना गया है. शुक्रवार के दिन लक्ष्मी जी की आरती करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है. इस दिन प्रात: काल स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए और पूजा करनी चाहिए. पूजा में लक्ष्मी जी की प्रिय चीजों को अवश्य शामिल करें. शाम के समय लक्ष्मी आरती के बाद घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाना चाहिए. इसके बाद प्रसाद वितरित करना चाहिए. यदि इस दिन व्रत रखते हैं तो व्रत को विधि पूर्वक पूर्ण करना चाहिए.

लक्ष्मी जी की आरतीओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।तुमको निशदिन सेवत हरि विष्णु विधाता।।ओम जय लक्ष्मी माता।उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जगमाता।सूर्य, चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।।ओम जय लक्ष्मी माता।दुर्गा रूप निरंजनी, सुख संपत्ति दाता।जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।।ओम जय लक्ष्मी माता।तुम पाताल निवासनी, तुम ही शुभ दाता।कर्म प्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता।।ओम जय लक्ष्मी माता।जिस घर में तुम रहतीं,सब सद्गुण आता।सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।।ओम जय लक्ष्मी माता।तुम बिन यज्ञ न होते, वस्तु न कोई पाता।खान पान का वैभव सब तुमसे आता।।ओम जय लक्ष्मी माता।शुभ्र गुण मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि जाता।रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता।।ओम जय लक्ष्मी माता।महालक्ष्मी जी की आरती जो कोई नर गाता।उर आनंद समाता, पाप उतर जाता।।ओम जय लक्ष्मी माता।लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।

लक्ष्मी जी का मंत्रॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:

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