Sawan Somvar 2022 Puja: सावन के पवित्र महीने के सोमवार को भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. माना जाता है कि सावन सोमवार (Sawan Somvar) के दिन जो भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा से भोलेनाथ की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामना शिव जी पूरी करते हैं.


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सावन का तीसरा सोमवार (Sawan Third Somvar) भगवान शिव और गणपति की पूजा के लिए खास है. इस दिन शिव और रवि योग के अलावा विनायक चतुर्थी का खास संयोग बन रहा है. आइए जानते हैं कि सावन के तीसरे सोमवार पर शिव जी पूजा आराधना कैसे करें,साथ ही किन मंत्रों का जाप और कौन सी आरती करें.


सावन सोमवार पूजा विधि



  • सावन के तीसरे सोमवार के दिन सुबह स्नान के बाद सूर्य को जल अर्पित करें. 

  • इसके बाद सावन सोमवार व्रत और शिवजी की पूजा का संकल्प लें.

  • फिर किसी किसी शिव मंदिर में जाकर या घर ही शिवलिंग की विधिवत पूजा करें.

  • सबसे पहले गंगाजल से शिवजी का अभिषेक करें. शिवलिंग का अभिषेक गंगाजल ,गाय के कच्चे दूध या फिर गन्ने के रस से करें.

  • अभिषेक करने के बाद शिव जी को चंदन, अक्षत, सफेद फूल, बेलपत्र, भांग की पत्तियां, शमी के पत्ते, धतूरा, भस्म और फूलों की माला अर्पित करें.

  • इसके साथ ही भगवान शिव को शहद, फल, मिठाई, शक्कर, धूप-दीप अर्पित करें.

  • भगवान शिव का अभिषेक करने के बाद शिव चालीसा का पाठ और सोमवार व्रत कथा का पाठ करें.

  • पूजन के अंत में शिवलिंग के समक्ष घी का दीपक जलाएं और भोलनाथ की आरती करें.


शिव पूजा का मंत्र 
1. ओम् नमः शिवाय
2. नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मै न काराय नम: शिवाय
3. श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम्
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व
जय-जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो


शिवजी की आरती 
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा
ॐ जय शिव ओंकारा


एकानन चतुरानन पंचानन राजे
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे
ॐ जय शिव ओंकारा


दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे
ॐ जय शिव ओंकारा


अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी
ॐ जय शिव ओंकारा


सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी
ॐ जय शिव ओंकारा


सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे 
श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका
ॐ जय शिव ओंकारा


लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा
ॐ जय शिव ओंकारा


त्रिगुणस्वामी जी की आरती जो कोइ नर गावे
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे
ॐ जय शिव ओंकारा


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