Sawan 2022, Triyuginarayan Temple: सावन का महीना 12 अगस्त 2022 तक चलेगा. पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी माह देवी पार्वती ने कठोर तपस्या के बाद शिव जी को पुन: पति के रूप में पाया था. मान्यता है कि सावन में महादेव और उनकी अर्धांगिनी की पूजा से अच्छा जीवनसाथी मिलता है. साथ ही सुखी वैवाहिक जीवन का वरदान प्राप्त होता है. भोलेनाथ और मां पार्वती के मिलन को लेकर कई कथाएं प्रचलित है लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्होंने किस जगह सात फेरे लिए थे. आइए जानते हैं उस मंदिर के बारे में श‌िव पार्वती के व‌िवाह स्थल के रूप में जाना जाता है.


त्रियुगीनारायण मंदिर में लिए महादेव-देवी पार्वती ने सात फेरे


उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित त्रियुगीनारायण मंदिर विवाह के लिए बहुत शुभ माना जाता है. मान्यता है कि यहीं शिव-पार्वती विवाह के बंधंन में बंधे थे. कहते हैं आज भी उनकी शादी के कई निशानियां यहां मौजूद हैं. माना जाता है कि यहां शादी करने वाले दंपत्ति की जिंदगी संवर जाती है, जीवन सदा सुखमय रहता है.


सदियों से जल रही है अग्नि


त्रियुगीनारायण मंदिर के बारे में कहा जाता है कि ये त्रेतायुग से स्थापित है. इस मंदिर में आज भी अग्निकुंड में अग्नि जलती रहती है.सदियों से प्रज्वलित इस अग्नि की वजह से इस धाम का नाम त्रियुगी पड़ा. त्रियुगी का अर्थ है अग्नि जो तीन युगों से जल रही है. इसी अग्नि को साक्षी मानकर शिव जी और मां पार्वती ने ब्याह रचाया था.


विवाह में विष्णु जी ने निभाई मां पार्वती के भाई की भूमिका


पुराणों में भी इस मंदिर का महात्म्य मिलता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार यहां श्रीहरि विष्णु ने विवाह के समय देवी पार्वती के भाई के रूप में सभी रिति रिवाज निभाए थे. कहते हैं यहां मौजूद कुंड में स्नान करके भगवान व‌िष्‍णु ने व‌िवाह संस्कार पूरे किए थे. वहीं ब्रह्माजी पुरोहित की भूमिका निभाई थी.


वैवाहिक जीवन के लिए इन अग्निकुंड का महत्व


मंदिर के अग्निकुंड की मान्यता है कि यहां से जो श्रद्धालु धूनी लेकर जाते है उनके वैवाहिक जीवन कभी तनाव नहीं आती. सुख-शांति बनी रहती है.


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