Vastu: तेज रफ्तार जीवन में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से लगभग हर कोई परेशान है. ऐसे में शिवभक्ति के महीने सावन में वास्तु का भी अपना विशेष महत्व है. जानकार बताते हैं कि व्रत पूजन के बीच स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के निदान में वास्तुशास्त्र के सूत्रों से चमत्कारिक फायदे मिलते हैं. आइए जानते हैं पांच महत्वपूर्ण उपाय.

- सुबह नींद से उठने के बाद सबसे पहले पृथ्वी मां के चरण स्पर्श करना चाहिए. इसके बाद घर खिड़की और दरवाजे कुछ देर के लिए खोल दें. सूर्य की किरणें स्वास्थ्य को बहुत लाभ देती है और घर के सभी विषाणु, बैक्टीरिया और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है.

- मगर दोपहर के समय सूर्य की किरणों से बचने की जरूरत है. खासतौर पर अल्ट्रा वायलट किरणों की वजह से त्वचा के रोग उभर सकते हैं. ऐसे में दोपहर के समय खासतौर पर दक्षिण दिशा में लगी खिड़कियों और दरवाजों के पर्दे बंद कर देने चाहिए.

- वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा की खिड़की और दरवाजों में लगाए जाने वाले परदे गाढ़े और काफी भारी होने चाहिए. इस दिशा से आनी वाली निगेटिव वेव्स से रक्षा होती है.

- रात के वक्त सोने जा रहे हैं तो सिर कभी भी उत्तर और पैर दक्षिण दिशा की तरफ न हो, ऐसा अगर रूटीन में गलती से भी हो रहा है तो सिरदर्द या अनिद्रा जैसी परेशानी हो सकती है. ऐसे में सही दिशा में बिस्तर लगाएं और नियमानुसर सोने से काफी राहत मिलेगी.

- उच्च रक्तचाप की परेशानी से जूझ रहे लोगों को दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर से बेडरूम नहीं बनाना चाहिए. यह दिशा आग्‍नेय कोण की मानी जाती है, जहां अग्नि का प्रभाव रहता है. इस दिशा में लेटने से ब्‍लड प्रेशर में और बढ़ोतरी हो सकती है.

- घर को काफी स्वच्छ और बारिश के बावजूद सीलन मुक्त रखने का प्रयास करें अन्यथा त्वचा संबंधी समस्याएं घेर सकती हैं. वास्तु के मुताबिक दीवारों पर सीलन नकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना गया है.

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