Prophet Hazrat Yunus: पैगंबर हजरत यूनुस मछली के पेट में अल्लाह की कुदरत और अपनी प्रार्थनाओं के कारण जिंदा रहे थे. कुरान के अनुसार, हजरत यूनुस ने अल्लाह से प्रार्थना की और अल्लाह ने उनकी प्रार्थना सुनकर उन्हें बचाया, न कि किसी वैज्ञानिक या प्राकृतिक विधि से वह वहां जीवित रहे.

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यह एक चमत्कार था कि, वे मछली के पेट के अंदर 40 दिनों तक जिंदा रहे, जो अल्लाह की शक्ति का प्रमाण है.

पैगंबर हजरत यूनुस के बारे में जानें

पैगंबर हजरत यूनुस अल्लाह के एक पैगंबर थे, जिन्हें इराक के नैनवां शहर के लोगों को अल्लाह के रास्ते पर लाने के लिए भेजा गया था, लेकिन वहां के लोगों ने उनकी बात नहीं मानी, जिसके बाद उन्होंने हार मान ली और वे एक व्हेल द्वारा निगल लिए गए.

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हजरत युनुस व्हेल के पेट में रहकर अल्लाह से माफी मांगी और जब अल्लाह ने उन्हें माफ किया, तो व्हेल ने उन्हें बाहर फेंक दिया. कुरान के दसवें अध्याय 'सूरह यूनुस' में उनकी कहानी का वर्णन है.

पैगंबर हजरत युनुस मछली के पेट में जिंदा कैसे रहें?

पैगंबर हजरत यूनुस का मछली के पेट में जीवित रहना अल्लाह की शक्ति का एक चमत्कार था, न कि कोई वैज्ञानिक या प्राकृतिक प्रक्रिया. उन्होंने उस मछली के पेट में रहते हुए लगातार अल्लाह से माफी मांगी और उसकी मदद की याचना की, जिसके बाद अल्लाह ने उन्हें उस आजमाइश से निजात दिलाई. 

मछली का निगलना: पैगंबर यूनुस ने अपने लोगों को अल्लाह के रास्ते पर चलने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन उन्होंने उनकी बात नहीं मानी और यूनुस निराश होकर उनसे दूर चले गए. समुद्र में एक बड़ी मछली ने उन्हें निगल लिया.  

अंधकार में अल्लाह को पुकारना: मछली के पेट के अंदर तीन प्रकार के अंधकार (रात, समुद्र और मछली का पेट) में रहते हुए, पैगंबर यूनुस ने सच्चे दिल से अल्लाह की ओर मुड़कर प्रार्थना की. "तुम्हारे अलावा कोई पूज्य नहीं है. तुम महान हो. वास्तव में, मैं अत्याचारियों में से रहा हूं". 

अल्लाह की मदद: इस प्रार्थना के बाद, अल्लाह ने उनकी दुआ कबूल की और मछली को हुक्म दिया कि, वह पैगंबर यूनुस को समुद्र के किनारे उगल दे. 

स्वस्थ होना: मछली से बाहर आने के बाद, पैगंबर यूनुस बहुत कमजोर हालत में थे. अल्लाह ने उनकी मदद के लिए उस जगह पर एक कद्दू की बेल उगा दी, जिसकी छांव में उन्हें आराम मिला और उनकी सेहत बेहतर हुई.

पैगंबर हजरत यूनुस को मछली के पेट में जिंदा रहने का कारण

  • अल्लाह की इच्छा: यह घटना पूरी तरह से अल्लाह की कुदरत का हिस्सा है, जो किसी भी प्राकृतिक नियम से परे है. अल्लाह ने पैगंबर यूनुस को जीवित रखा, क्योंकि ऐसा उसका हुक्म था. 
  • पश्चाताप और प्रार्थना: पैगंबर यूनुस की प्रार्थना "ला इलाहा इल्ला अन्ता, सुभानका, इन्नी कुंतु मिनाज़-ज़ालिमिन" उनके पश्चाताप और अल्लाह पर अटूट विश्वास का प्रतीक थी, जिसके कारण उन्हें निजात मिली. 
  • मछली की भूमिका: कुछ वर्णन बताते हैं कि मछली ने भी हजरत यूनुस को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया क्योंकि अल्लाह का हुक्म था. 

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.