Premananda Maharaj on gutkha: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान को बेहद पवित्र कर्म माना जाता है. इस दौरान मानसिक पवित्रता के साथ-साथ शारीरिक पवित्रता बनाए रखना भी जरूरी है. ऐसे में कई लोग पूजा पाठ करते समय या मंत्रों का जाप करते समय गुटखा, पान या तंबाकू जैसी चीजों को मुंह में रखते हैं.
वृंदावन स्थित श्री राधा हित केलि कुंज आश्रम के संत प्रेमानंद महाराज से एक भक्त ने पूछा कि, 'मेरे साथ कुछ लोग गुटखा खाकर रामायण का पाठ करते हैं, मैं मना भी करता हूं तो कहते हैं, शास्त्रों में इसे अनुचित नहीं बताया गया है. क्या ये सही बात है?
गुटखा खाकर भगवत चरित्र का पाठ उचित
भक्त के इस सवाल पर महाराज जी ने स्पष्ट और सटीक जवाब देते हुए कहा कि, गुटखा, तंबाकू या किसी भी तरह के ऐसे पान मसाला को खाकर भगवत चरित्रों का गायन-पाठन करना निषिद्ध है.
अगर आपको आदत है तो इसकी जगह आप ठाकुर जी को पान का भोग लगाएं, जिसमें किसी भी तरह का पान मसाला न हो. बल्कि इसकी जगह इलायची, लौंग, सौंफ, मिश्री या गुलकंद डालकर वो मुख में रखकर अगर भगवत चरित्र का पाठ करते हैं तो ये गलत नहीं माना जाएगा.
प्रेमानंद महाराज ने लोगों से की निवेदन
महाराज ने आगे कहा कि, अगर आप गुटखा-तंबाकू खाकर के भगवान का पाठ करते हैं तो ये निकृष्टता (बुरा), शास्त्रों का अपमान और मर्यादा विहीन हैं. ऐसा करने से आप पाप के भागीदारी बनते हैं.
प्रेमानंद महाराज ने लोगों से निवेदन करते हुए कहा कि, आप लोग भागवत कथा श्रवण या कथन, रामचरित मानस श्रवण या कथन या वृंदावन की परिक्रमा या गिरिराज जी की परिक्रमा इनमें किसी भी तरह का नशा न करें. इस तरह के कार्य नशे में होकर करोगे तो लाभ की जगह हानि होना निश्चित है.
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