Parshuram Jayanti 2021 Date: परशुराम जी की जयंती वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान परशुराम जी का जन्म हुआ था. परशुराम जी भगवान शिव के परम भक्त हैं. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए परशुराम जी ने कठोर तपस्या की थी. प्रसन्न होकर भगवान शिव ने परशुराम को कई अस्त्र- शस्त्र भेंट किए थे. इनमें से एक परशु जिसे फरसा भी कहा जाता है, दिया था. 'परशु' अस्त्र परशुराम को अधिक प्रिय था और इसे सदैव अपने पास रखते थे, इसी कारण परशुराम कहा गया. ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार परशुराम जी ने ही गणेशजी को दांत बनाया था. पौराणिक कथा के अनुसार परशुराम जी भगवान शिव से मिलने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे, लेकिन गणेश जी ने उन्हें रास्ते में ही रोक दिया. इससे परशुराम जी को क्रोध आ गया और परशु से गणेश जी का एक दांत तोड़ा दिया. जिस कारण गणेश जी एकदंत कहलाए. 


भय समाप्त होता है और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है
भगवान परशुराम की पूजा करने से व्यक्ति का डर समाप्त हो जाता है. इसके साथ ही आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है. जीवन में सफलता के लिए आत्मविश्वास का कायम रहना अत्यंत आवश्यक माना गया है. इसके बिना सफलता प्राप्त करना संभव नहीं है. 


पूजा विधि
अक्षय तृतीया की तिथि यानि 14 मई शुक्रवार को प्रात: स्नान करने के बाद पूजा आरंभ करें. इस दिन व्रत रखने की भी परंपरा है. व्रत रखने से पूर्व संकल्प लें. इसके बाद पूजा आरंभ करें. परशुरामजी की तस्वीर स्थापित पर पुष्प, मिष्ठान और फल चढ़ाएं. और विधिवत पूजा आरती करें.


पूजा मुहूर्त
प्रदोष काल में परशुराम जी की पूजा करना शुभ माना गया है. माना जाता है कि परशुराम जी का जन्मोत्सव प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद और रात से पहले के समय हुआ था. 14 मई को प्रदोष काल में सूर्यास्त शाम को 07 बजकर 04 मिनट पर होगा.


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