Narasimha Jayanti 2024: हिंदू धर्म में भगवान विष्णु की छवि शांत और सदैव मुस्कुराने वाले देवता की मानी गई है. श्रीहरि ने संसार की कल्याण के खातिर समय-समय पर कई अवतार लिए और अधर्म का नाश किया. इन्हीं में से एक है विष्णु जी का नरसिंह अवतार.


श्रीहरि का नरसिंह स्वरूप (Narasimha Avatar)बेहद खतरनाक और स्वभाव उग्र था. क्या आप जानते हैं आखिर क्यों शांत स्वभाव वाले विष्णु जी को रौद्र रूप धारण करना पड़ा. आइए जानते हैं ये कथा.


भगवान विष्णु का रौद्र स्वरूप (Vishnu ji Narasimha Avatar katha)


सत्ययुग में एक अत्यंत निर्दयी असुर हिरण्यकशिपु था. जो दैत्यों का राजा था. विष्णु विरोधी हिरण्यकशिपु (Hiranyakashyap) ने तपस्या कर ब्रह्मा जी से अद्भुत वर पाया और देवताओं को परास्त कर अपना अखण्ड साम्राज्य स्थापित किया. हिरण्यकशिपु को वरदान था न ही पशु, न मानव, न तो दिन, न ही रात, न घर के अंदर न ही बाहर और न ही किसी अस्त्र से या शस्त्र से उसका वध किया जा सकता है. इस वरदान के बाद वह खुदकर भगवान शमजने लगात था, चारों ओर उसका अत्याचार बढ़ने लगा.


ऐसे की श्रीहरि ने भक्त की रक्षा


वह नहीं चाहता था कि कोई विष्णु जी की पूजा करें, लेकिन स्वयं का पुत्र प्रह्लाद (Prahalad) भगवान विष्णु का परम भक्त था. प्रह्लाद के क्रूर और घमंडी पिता ने उसका वध करने के अनेक प्रयास किए परन्तु हर बार असफल रहा. हर बार भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की और प्राण बचाए. नादान बालक के लिए हिरण्यकशिपु का ऐसा बर्ताव देखकर भी विष्णु जी शांत रहें.


इसलिए लिया नरसिंह अवतार


एक बार क्रोध में हिरण्यकशिपु ने खुद अपने बेटे के प्राण लेने का सोचा और उसे प्रताड़ित करने लगा तभी एक खम्भे से प्रकट होकर नरसिंह रूप में भगवान विष्णु ने संध्या के समय घर की चौखट पर और अपनी गोद में उठाकर हिरण्यकशिपु की छाती को अपने नखों से चीरकर उसका वध कर दिया. श्रहीरि का ये अवतर आधा मानव और आधा शेर का था. वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि यानी 21 मई को नरसिंह जयंती मनाई जाएगी.


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