Nag Panchmi 2025: हिंदू धर्म में नागों का विशेष महत्व है. नागों की पूजा की जाती है. इन्हें समर्पित पर्व नागपंचमी पर्व बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ मनाया जाता है. हर साल ये त्योहार सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. नागपंचमी के दिन भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ नागों की पूजा का महत्व है.

इस दिन लोग नाग देवता की पूजा करते हैं, जिससे सर्प का भय न रहे. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 29 जुलाई को पड़ रही है.

शिव को समर्पित नाग पंचमी का त्योहारहिंदू पंचांग के अनुसार सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 28 जुलाई की रात 11:24 से शुरू होकर 29 जुलाई की रात 12:46 तक रहेगी. उदयातिथि के आधार पर नाग पंचमी का पर्व 29 जुलाई को मनाया जाएगा.

यह त्योहार भगवान शिव और नागों की पूजा के लिए मनाया जाता है. इस दिन लोग नाग देवता की पूजा करते हैं और नाग मंदिरों में जाकर सांपों को दूध, दही, फल आदि चढ़ाते हैं. साथ ही कुंडली में काल सर्प दोष हो तो उससे निजात पाने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं.

ज्योतिषाचार्य से जानें पर्व की विशेषताज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी का पर्व आता है. इसमें नाग देवता की विशेष रूप से पूजा-आराधना की जाती है. नाग देवता भगवान शिव के गले की शोभा को बढ़ाते हैं.

हिंदू धर्म में नाग पंचमी का विशेष महत्व होता है. पौराणिक काल से ही सांपों को देवताओं की तरह पूजा जाता है. ऐसी मान्यता है कि नाग की पूजा करने से सांपों के डसने का भय समाप्त हो जाता है. भगवान भोलेनाथ के गले में भी नाग देवता लिपटे रहते हैं.

नाग पंचमी पर्व के पीछे धार्मिक मान्यताधार्मिक मान्यता के अनुसार, नाग पंचमी के दिन नाग देवता की आराधना करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और कई अन्य प्रकार के भी शुभ फल प्राप्त होते हैं. ऐसी मान्यता है इस दिन नाग देवता की पूजा करने से घर में सुख और समृद्धि का वास होता है.

इस बार नागपंचमी का पर्व विशेष योग में मनाया जाएगा. इन योगों में नागपंचमी का पर्व मनाने से सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं.

काल सर्प दोष से छुटकारा पाने की आसान विधिज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता और शिव जी की पूजा करने से नाग के डसने और अकाल मृत्युव का खतरा टलता है. साथ ही भगवान शिव की पूजा से ग्रह दोष दूर होते हैं. विशेषतौर पर काल सर्प दोष से निजात पाने के लिए नागपंचमी का दिन सर्वोत्ताम माना गया है.

नागों को धन का रक्षक माना गया है. नाग देवता की पूजा करने से खूब धन-दौलत मिलती है.

  • नागपंचमी के दिन सुबह जल्दी  उठकर स्ना न करें.
  • साथ ही भगवान शिव का स्मरण करें.
  • नागपंचमी का व्रत कर रहे हैं तो व्रत का संकल्पव लें.
  • इसके बाद चौकी पर नाग-नागिन की प्रतिमा बनाकर उसका दूध से अभिषेक करें.
  • उन्हें फल, फूल, मिठाइयां अर्पित करें. धूप-दीप करें.
  • अंत में नाग पंचमी की आरती करें. यदि कुंडली में काल सर्प दोष हो तो शिवलिंग पर चांदी का नाग-नागिन का जोड़ा अर्पित करें. इससे काल सर्प दोष के कारण मिलने वाले अशुभ फल से निजात मिलती है.

नागपंचमी तिथिभविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 28 जुलाई की रात 11:24 से शुरू होकर 29 जुलाई की रात 12:46 तक रहेगी.  उदयातिथि के आधार पर नाग पंचमी का पर्व 29 जुलाई को मनाया जाएगा.  

नाग पंचमी के पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 5:41 से सुबह 8:30 तक रहेगा. चौघड़िया का शुभ मुहूर्त सुबह 10:46 से दोपहर 12:27 तक रहेगा. 

कालसर्प दोष भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि कालसर्प दोष दूर करने के लिए नागपंचमी पर नागों की पूजा को काफी लाभकारी माना जाता है. कालसर्प दोष दूर करने के लिए महामृत्युंजय सर्पगायत्री जाप अथवा त्रंबकेश्वर आदि तीर्थ स्थानों में सर्प पूजा का विधान है.

ज्योतिषों का कहना है कि सर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति नाग पंचमी के दिन चांदी अथवा तांबे का सांप का जोड़ा लेकर शिवलिंग पर चढ़ाएं. ॐ नमः शिवाय अथवा महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें. इसके साथ ही सर्प गायत्री का जाप करें तो कालसर्प दोष राहत मिलती है.

नागपंचमी महत्वभविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि नागपंचमी का त्योहार हिंदू धर्म में काफी मान्य है. इस दिन पूजा करने से सांप या नागों से परिवार की सुरक्षा होती है. साथ ही उन्हें लेकर मन का भय समाप्त हो जाता है. जिस जातक की कुंडली में कालसर्प दोष है, उन्हें इसके कारण कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसके लिए नागपंचमी के दिन पूजन करने से लाभ मिलता है.

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