Nachiketa Story: नचिकेता ने छोटी सी उम्र में ही उस ज्ञान को प्राप्त किया था, जिसे बड़े-बड़े ज्ञानी भी प्राप्त नहीं कर सके थे. नचिकेता की कथा त्याग और ज्ञान के महत्व को बताती है. पौराणिक कथा के अनुसार नचिकेता उद्दालक नाम के एक ऋषि की संतान थे. उद्दालक ने विश्वजित नाम का एक विशाल यज्ञ आयोजित किया, जिसमें उन्होंने सभी चीजों का त्याग और दान कर दिया.


यज्ञ के दौरान 5 वर्ष के नचिकेता ने अपने पिता से प्रश्न किया कि वे सभी चीजों का दान कर रहे हैं तो मुझे किसे दान में देने जा रहे हैं. क्रोधित होकर इस पर उनके पिता ने नचिकेता से कहा कि वे उसे यम को दान में देंगे. इस उत्तर का नचिकेता के मस्तिष्क पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा.


यमलोक में यम से मुलाकात
नचिकेता यम से मिलने के लिए यमलोक के द्वार पर पहुंच गया. उस समय यम भ्रमण पर थे. तीन दिनों तक नचिकेता यमलोक के द्वार पर ही बैठकर यमराज का इंतजार करता है. जब ये बात यमराज को पता चली तो एक बालक की इस निष्ठा को देखकर प्रभावित हुए और उसे अपने पास बुलाकर तीन वरदान मांगने को कहा.


नचिकेता ने पहले वरादन के तौर पर पिता के क्रोध को शांत करने का वरदान मांगा, जिसे यम ने स्वीकार कर लिया. इसके बाद नचिकेता से यम ने दूसरा वरदान मांगने को कहा. नचिकेता ने कहा कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए. इस पर यम ने नचिकेता का ज्ञानवर्धन किया.


तीसरे वरदान की जब बारी आई तो नचिकेता ने यम से मृत्यु के बारे में बताने के लिए कहा. इस पर यम घबरा गए और नचिकेता के इस प्रश्न पर यम ने कहा कि इस वरदान को छोड़कर जो कुछ भी चाहिए ले सकते हो, लेकिन वे इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे सकते हैं. यम बालक की तीक्ष्ण बुद्धि से बहुत प्रभावित हुए. नचिकेता ने अपनी जिद्द नहीं छोड़ी और प्रश्न का उत्तर देने के लिए यम को बाध्य कर दिया, तब नचिकेता को आत्म ज्ञान प्राप्त हुआ.


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