Mundan Muhurat 2026: मुंडन का धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी विशेष महत्व है मान्यता है कि जन्म के समय शिशु के बाल पिछले जन्म के संस्कारों का प्रतीक होते हैं, मुंडन संस्कार इन अशुद्धियों को हटाने और शुद्धता प्राप्त करने के लिए किया जाता है.
यह संस्कार बच्चे के लंबे, स्वस्थ और मजबूत बालों के लिए भी शुभ माना गया है. मुंडन संस्कार हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए क्योंकि इसका असर बच्चे के जीवन पर पड़ता है. आइए जानें साल 2026 में मुंडन कब-कब कर सकते हैं.
मुंडन मुहूर्त 2026
| 21 जनवरी 2026 | सुबह 07:14 - सुबह 2.49, 22 जनवरी |
| 29 जनवरी 2026 | सुबह 07:32 - दोपहर 1.57 |
| 11 फरवरी 2026 | सुबह 10:53 - सुबह 7.03, 12 फरवरी |
| 12 फरवरी 2026 | सुबह 07:02 - दोपहर 1.43 |
| 18 फरवरी 2026 | शाम 05:00 - रात 9.16 |
| 26 फरवरी 2026 | सुबह 06:49 - दोपहर 12.12 |
| 27 फरवरी 2026 | सुबह 10:49 - रात 10.35 |
| 6 मार्च 2026 | सुबह 09:30 - शाम 5.56 |
| 16 मार्च 2026 | सुबह 09:43 - सुबह 6.30, 17 मार्च |
| 25 मार्च 2026 | सुबह 06:20 - दोपहर 1.52 |
| 27 मार्च 2026 | सुबह 10:09 - सुबह 6.17, 28 मार्च |
| 03 अप्रैल 2026 | सुबह 08:45 - सुबह 6.09, 4 अप्रैल |
| 13 अप्रैल 2026 | सुबह 05:58 - सुबह 1.11, 14 अप्रैल |
| 23 अप्रैल 2026 | सुबह 05:48 - रात 8.52 |
| 01 मई 2026 | सुबह 05:40 - रात 10.55 |
| 04 मई 2026 | सुबह 09:58 - सुबह 5.27, 5 मई |
| 11 मई 2026 | दोपहर 03:27 - रात 1.29, 12 मई |
| 17 जून 2026 | सुबह 05:22 - रात 9.14 |
| 24 जून 2026 | सुबह 05:24 - सुबह 5.24, 25 जून |
| 25 जून 2026 | 05:24 - शाम 4.30 |
| 02 जुलाई 2026 | 09:28 - सुबह 5.26, 3 जुलाई |
| 03 जुलाई 2026 | 05:27 - सुबह 11.23 |
| 09 जुलाई 2026 | 10:40 - दोपहर 2.56 |
| 15 जुलाई 2026 | 11:53 - रात 9.47 |
| 20 जुलाई 2026 | 19:10 - सुबह 4.04, 21 जुलाई |
जुलाई के बाद नहीं है मुंडन के लिए शुभ मुहूर्त
समस्त मांगलिक कार्य जैसे मुंडन, विवाह आदि सभी चातुर्मास में वर्जित होते हैं. नववर्ष में देवशयनी एकादशी 25 जुलाई 2026 को है. इस दिन से चातुर्मास की शुरुआत हो जाएगी. यही वजह है कि 20 जुलाई के बाद मुंडन के लिए शुभ मुहूर्त नहीं है.
मुंडन की शुभ तिथियां - द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी और त्रयोदशी मुंडन संस्कार के लिए शुभ मानी जाती है. माघ और फाल्गुन मास में बच्चों का मुण्डन संस्कार करना सबसे शुभ माना जाता है.
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