Safalta Ki Kunji: चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति को हर हाल में खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए. विद्वान भी मानते हैं कि प्रसन्न रहने से कई प्रकार के रोग दूर रहते हैं. प्रसन्न रहने के लिए बड़ी सफलताओं का इंतजार नहीं करना चाहिए. जीवन में मिलने वाली छोटी छोटी खुशियों का भी आनंद लेना चाहिए.
जिस प्रकार से बूंद-बूंद से घड़ा भरता है, उसी प्रकार से छोटी छोटी खुशियों से जीवन को सार्थकता प्राप्त होती है और रिश्तों में मजबूती आती है. रिश्तों में मजबूती व्यक्ति को बुरे समय से बचाती है. बुरे वक्त में स्वार्थी और लोभी व्यक्ति सबसे पहले साथ छोड़ जाते हैं, वहीं जो सच्चे रिश्ते होते हैं, वे बुरे वक्त में परछाई की तरह से साथ खड़े रहते हैं. श्रीमद्भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि प्रसन्नता व्यक्ति के स्वभाव में निहित होती है. व्यक्ति के कर्म, उसे सुख और दुख प्रदान करते हैं. इसलिए व्यक्ति को अपने आचरण और गुणों को लेकर गंभीर और जागरूक रहना चाहिए.
विद्वानों की मानें तो जिस प्रकार से रात के बाद दिन होता है, उसी प्रकार से दुख के बाद सुखों की प्राप्ति होती है. दुख या परेशानी आने पर व्यक्ति को धैर्य बनाए रखना चाहिए. व्यक्ति के गुणों की परीक्षा संकट आने पर ही होती है. प्रतिभाशाली व्यक्ति की पहचान संकट के समय ही होती है. इसलिए संकट के समय व्यक्ति को आत्मचिंतन और गलतियों के बारे में मंथन करना चाहिए. प्रसन्न रहने के लिए बड़े अवसरों के सहारे नहीं रहना चाहिए, इन बातों का ध्यान रखना चाहिए-
आत्मविश्वास में वृद्धि करेंविद्वानों की मानें तो आत्मविश्वास में कभी कमी नहीं आने देनी चाहिए. सुख और दुख आते-जाते रहते हैं. दुख में डूबना नहीं चाहिए. बल्कि दुखों से कैसे उभरा जा सकता है, इस बारे में सोचना और प्रयास करना चाहिए. इस दौरान मिलने वाली खुशी के पलों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.