Mokshda Ekadashi 2021: हर माह की 11वीं तिथि को एकादशी कहा जाता है. और हिंदू धर्म में एकादशी के दिन का विशेष महत्व है. हर माह दो एकादशी पड़ती हैं और हर एकादशी का अपना अलग महत्व है. एकादशी का दिन भगवान विष्णु जी को समर्पित है. इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा-अर्चना और व्रत आदि किए जाते हैं. कहते हैं कि इस दिन व्रत आदि रखने से पापों की मुक्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. साथ ही, मृत्यु के बाद सद्गति की प्राप्ति होती है. मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi 2021) के नाम से जाना जाता है. इस बार 14 दिसंबर, मंगलवार के दिन पड़ रही है. 


मान्यता है कि एकादशी का व्रत अगर श्रद्धा और निष्ठा से किया जाए, तो पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. एकादशी का व्रत (Ekadashi Vrat) दशमी के सूर्यास्त के बाद से शुरू होकर द्वादशी के दिन हरि वासर के बाद समाप्त होता है. हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत कठिन व्रतों में से एक होता है. आइए जानते हैं इसकी पूजा की विधि, तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त. 


मोक्षदा एकादशी तिथि 2021 (Mokshada Ekadashi Tithi 2021)


ज्योतिष के अनुसार मोक्षदा एकादशी तिथि (Mokshada Ekadashi Tithi 2021) 13 दिसंबर सोमवार की रात 09 बजकर 32 मिनट से शुरू हो रही है, और अगले दिन 14 दिसंबर को रात 11 बजकर 35 मिनट तक रहेगी. ऐसे में उदयातिथि 14 दिसंबर की होने के कारण मोक्षदा एकादशी का व्रत मंगलवार के दिन रखा जाएगा. एकादशी व्रत की पूजा सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि के बाद ही की जाती है. 



मोक्षदा एकादशी पारण समय 2021 (Mokshada Ekadashi Paran Time 2021)


मोक्षदा एकादशी व्रत का पारण (Mokshada Ekadashi Vrat Paran 2021) द्वादशी के दिन किया जाएगा. व्रत का पारण 15 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 5 मिनट से सुबह 09 बजकर 09 मिनट के बीच किया जाएगा. 


मोक्षदा एकादशी पूजा विधि (Mokshada Ekadashi 2021 Puja Vidhi)


- मोक्षदा एकादशी व्रत दशमी तिथि को दोपहर के समय में भी एक समय ही भोजन करना चाहिए. दशमी तिथि के दिन रात में भोजन नहीं करना चाहिए.


- एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें.


- इसके बाद भगवान श्री कृष्ण के आगे दीप, धूप और नैवेद्य आदि अर्पित करते हुए विधिपूर्वक पूजा करें.


- इतना ही नहीं, इस दिन रात के समय पूजा और जागरण करना चाहिए. दिनभर भगवान की अराधना करें. 


- एकादशी के अगले दिन द्वादशी को पूजन के बाद व्रत पारण करें. इसके बाद जरुरतमंद व्यक्ति को भोजन और दान आदि अवश्य करें. 


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