Mahashivratri 2025 Haridwar: महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर धर्म नगरी हरिद्वार का अलग ही नजारा देखने को मिला जब भगवान शिव की बारात नगर में निकाली गई जिसमे भुत पिचाश नंदी सबने भांग के नशे में खूब हुड़दंग किया.

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पुराणों में वर्णन है हरिद्वार की उपनगरी कनखल दक्षेश्वर महादेव भगवान शिव की ससुराल है इसी कारण हर वर्ष महाशिवरात्रि पर हरिद्वार नगर में शिव की बारात निकाली जाती है आज इस बारात को देखकर हर कोई मंत्रमुक्त हो गया.

भगवान् शिव कि बारात को देखने के लिए पूरा शहर तो उमड़ा ही है साथ ही आसपास के शहरों के लोग भी ये नजारा देखने के लिए आये हुए थे. बारात में हर देवी देवता भी मौजद रहे. हरिद्वार शिव और गंगा नगर है ऐसा संगम पूरे भारत में कहीं देखने को नहीं मिलता जहां पर शिव की ससुराल भी है. भगवान शिव की बारात का भूत पिशाच गंधर्व और सभी भक्त आनंद लेते हैं

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मान्यता है कि हरिद्वार में शिव कि ससुराल है शिवरात्रि पर भगवान शिव का शक्ति से मिलन हुआ था उसी प्रथा को यहाँ के लोग आज भी मानते है. गऊ घाट हरिद्वार से शाम के समय शुरू होने वाली भगवान शिव की बरात पूरे शहर में घूमती हुई देर रात हरकी पौड़ी स्थित भगवान शंकर के मंदिर पर समाप्त होती है. इस दौरान हज़ारों की संख्या में श्रद्धालुगण बाराती बनते हैं और शहर में जगह जगह बरात का जमकर स्वागत होता है.

एक माह तक यहां रहते हैं शिव

हरिद्वार का कनखल हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थस्थल है. ऐसी मान्यता है कि सावन में भगवान शिव कैलाश पर्वत से कनखल आ जाते हैं. यहीं पर भोलेनाथ एक महीने निवास करते हैं. यहां स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर सालों से श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र बना हुआ है. 

कनखल में दक्षेश्वर महादेव मंदिर को लेकर मान्यता है कि कि जो भी भक्त यहां महाशिवरात्रि और सावन में शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक करते हैं और बेलपत्र, पुष्प, तिल ,चावल, दूध, दही, शहद और पंचगव्य से पूजन अर्चन करते हैं, उनके सारे कष्ट दूर होते हैं. वे मोक्ष प्राप्त कर शिवलोक वासी हो जाते हैं.

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