Attukal Bhagavathy Mandir: हमारे देश में कई ऐसे मंदिर जहां स्थानीय त्योहारों को बड़े उत्साह और भव्य रूप से मनाया जाता है. यह मंदिर अपनी दिव्यता और पवित्रता के लिए प्रसिद्ध होते हैं.

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तिरुवनंतपुरम का अट्टुकल भगवती मंदिर ऐसा ही दिव्य मंदिर जहां मां भगवती, देवी भद्रकाली के रूप में गर्भगृह में स्थित हैं. यह देवी भक्तों को सुख-समृद्धि और मोक्ष का आशीर्वाद देती हैं. मगर पूरे वर्ष में एक दिन ऐसा होता है जब इस मंदिर में पुरुषों का आना बंद मना रहता है.

उस दिन मंदिर में सिर्फ महिलाएं ही पूजा-पाठ कर सकती हैं. चलिए जानते है इस मंदिर के बारे में. 

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गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है मंदिर का नाम

केरल के तिरुवनंतपुरम शहर में मौजूद अट्टुकल भगवती मंदिर में मां भद्रकाली मुख्य देवी के रूप में विराजमान हैं. इस मंदिर की खास बात यह है कि साल में एक दिन के लिए मंदिर में पुरुषों की एंट्री बंद रहती है.

क्योंकि अट्टुकल पोंगाला नामक एक त्योहार में सिर्फ महिलाएं ही मंदिर में प्रवेश कर पूजा कर सकती हैं. यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है, जिसमें लाखों महिलाएं शामिल होती हैं. बाकी के दिन पुरुष और महिलाएं दोनों साथ में मंदिर में जा सकते हैं. यह  त्यौहार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है.

तमिल संस्कृति से हुआ सराबोर मंदिर का निर्माण

भक्तों का मानना है कि मां भद्रकाली के इस मंदिर में जो भी मुरादें मांगी जाती हैं वे सब पूरी होतीं हैं. इसलिए इन्हें समृद्धि और मोक्ष की देवी माना जाता हैं. जब भी किसी भक्त की मुराद पूरी होती है तो उसे विशेष अनुष्ठान करना पड़ता है.

पोंगल उत्सव के दौरान भी महिलाएं मां भद्रकाली के लिए खास अनुष्ठान करती हैं. वहीं इस मंदिर का निर्माण तमिल और केरल की पारंपरिक शैलियों के मिश्रण से किया गया है. मंदिर के सभी स्तंभों पर देवी काली, श्री पार्वती, भगवान शिव और भगवान विष्णु के दस अवतारों की सुंदर आकृतियां बनी हुई हैं. जो मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगाती हैं. 

क्या है मंदिर का इतिहास?

पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक दिन शाम के समय एक व्यक्ति नदी पार कर रहा था. तभी एक छोटी कन्या ने उससे विनती की कि वह भी उसे नदी के उस पार ले जाए. उस कन्या के चेहरे की दिव्यता देखकर वह व्यक्ति प्रभावित हो गया और बड़े प्यार से उसे अपने घर आने का निमंत्रण दे दिया.

कहा जाता है कि व्यक्ति अपने घर पहुंचकर उस कन्या के स्वागत की तैयारी करने लगा, तभी वे अचानक गायब हो गई. उसी रात वह कन्या उसके सपने में आई और उसे एक स्थान का संकेत दिया की जहां पहाड़ी पर तीन स्पष्ट रेखाएं दिखाई दें उसी स्थान पर मां का मंदिर बनवाया जाए.

अगली सुबह व्यक्ति ने उस जगह की खोज की और ठीक वही तीन रेखाएं उसे दिखाई दिए. जैसे ही यह बात गांव में फैली, लोग इसे दिव्य संकेत मानकर एकजुट हो गए और कुछ दिनों बाद, उसी पवित्र स्थान पर चार भुजाओं वाली मां भद्रकाली की भव्य प्रतिमा स्थापित की गई और तब से यह स्थान भक्तों की आस्था और चमत्कारों का केंद्र बन गया.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.