सफल हर कोई होना चाहता है. इंसान बेहतर वातावरण, सुविधा और समृद्धि का स्वप्न देखता है. हालांकि इसे पाने के लिए सबसे आवश्यक तत्वों को स्वयं के लिए पाने की चाह में नजरअंदाज करता जाता है. इंसान इससे छोटी उपलब्धियों को ही सफलता मानकर संतुष्ट होने को विवश हो जाता है. सफलता वृहद विषय है. इसे हर स्तर पर पाने के लिए सबसे आवश्यक तत्व हैं- प्रेम और विश्वास.


प्रेम सभी के प्रति आदर, सत्कार और सेवा की भावना है. इसका आदान प्रदान ही संपूर्ण सफलता का आधार है. व्यक्ति समाज और देश की सेवा से लौटकर आता है तो सफलता में परिणत होकर आता है. यह कई गुना होकर वापसी करती है. प्रेम जितना निश्वार्थ और निश्छल होता है, उपलब्धि भी उतनी ही श्रेष्ठ और विशाल होती है.


विश्वास के बिना प्रेम हो पाना दुष्कर है. विश्वास आपसी भाईचारे की नींव है. सफलता के लिए सामंजस्य और सहभागिता आवश्यक है. कहावत भी है कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता है. विश्वास हमें जोड़ता है. योग असंख्य गुना होकर सफलता का आकार बढ़ा देता है. अविश्वास में मेहनत का फल अवश्य मिलता है लेकिन अन्य लोगों की ऊर्जा का उपयोग करने कि लिए विश्वास अत्यावश्यक है. नेतृत्व के मूल में भी विश्वास और प्रेम होते हैं.


जीवन के हर रिश्ते में चाहे वह पारिवारिक हो या कामकाजी प्रेम और विश्वास महत्वपूर्ण होता है. दुनिया की प्रत्येक व्यवस्था भी प्रेम और विश्वास से गतिमान है. हम सभी को इन्हें हर हाल बनाए रखना चाहिए.