Sawan 2021 : सावन का महादेव का महीना माना जाता है, उस पर प्रदोष पर नारायण का व्रत, उपासना भक्त को मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है. मान्यता है इस व्रत को रखने पर व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है और वह निरोगी बनता है. इस व्रत में दान, हवन, तर्पण,  ब्राह्मण भोज, हवन आदि का विशेष महत्व है. इस दिन दान पुण्य करने वाले को हरि कृपा से मोक्ष प्राप्त होता है. इस दिन व्रती को चारों पहर हरि भजन, जाप आदि करना होता है. दामोदर द्वादशी को मुख्य रूप से विष्णु के कृष्ण अवतार की आराधना की जाती है. भागवत में जिक्र मिलता है कि कृष्ण ने महाभारत के युद्ध के दौरान भीष्म को विशाल रूप से सत्य से अवगत कराया था. सत्य जानकर पितामह मोक्ष के भागी बने. 

व्रत का विधान इस द्वादशी में विष्णु और शिव के पूजा एक साथ की जाती है. कृष्णजी को पंचामृत से स्नान कराकर तुलसी दल अर्पित किया जाता है. कपास के सूत से बना पवित्रक भी अर्पित किया जाता है. रोली, चंदन से उनका श्रृंगार किया जाता है. इस दिन गोपाल को तिल और पंचामृत का भोग लगाया जाता है. घी तथा खीर का हवन भी कीजिए. इस दिन माता लक्ष्मी की कथा का भी प्रावधान है. स्वयं भोजन करने के पहले यथाशक्ति दान-पुण्य, भोज आदि करना चाहिए. पूरी रात्रि कीर्तन किया जाता है. ध्यान रहे पूजन पूर्ण होने पर पवित्रक का विसर्जन अवश्य कर दें.   

पौराणिक कथा एक यादव कन्या थीं, जो एकादशी व्रत करती और द्वादशी को पारण करतीं. बेहद गरीब होने के चलते वह दही बेचकर जीवन यापन करती थी. एक बार उसने एकदाशी का व्रत किया और द्वादशी को पारण करना था. उसने सोचा कि आज दही थोड़ा है जल्द बिक जाएगा. उसे बेचने के बाद वह पारण कर लेगी. उस दिन कृष्ण और राधा रास कर रहे थे. उस दौरान राधा ने गूलर के वृक्ष जोर से हिलाया. गूलर का दिव्य पुष्प कन्या की मटकी में जा गिरा. जिसके प्रभाव से मटकी का दही बढऩे लगा जोकि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था. यह क्रम पूरे दिन चलता रहा है और अनजाने में कन्या ने द्वादशी का व्रत भी कर लिया, जिससे हरि प्रसन्न हुए और उस कन्या को बैकुंठ की प्राप्ति हुई.

 

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