Adhik Maas 2026: अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक जनवरी के पहले दिन यानी 1 जनवरी से नए साल की शुरुआत मानी जाती है. लेकिन हिंदू धर्म में विक्रम संवत (Vikram Samvat) कैलेंडर का इस्तेमाल किया जाता है, जोकि खासकर उत्तर भारत में काफी प्रचलित है. फिलहाल हिंदू कैलेंडर (Hindu Calendar 2026) या विक्रम संवत का 2082 वर्ष चल रहा है.
चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष (Hindu Calendar 2026) की शुरुआत मानी जाती है और इस कैलेंडर के मुताबिक फाल्गुन अंतिम महीना होता है. विक्रम संवत पंचांग के अनुसार वर्ष 2026 कई दृष्टि से विशेष रहने वाला है.
साल 2026 में अधिकमास पड़ रहा है, जोकि ज्येष्ठ या जेठ मास के रूप में आएगा. यानी साल 2026 में एक नहीं बल्कि दो ज्येष्ठ महीने होंगे. इस प्रकार 2026 में सामान्य ज्येष्ठ के साथ एक अधिक ज्येष्ठ का महीना भी जुड़ जाएगा, जिस कारण ज्येष्ठ का महीना लगभग 58-59 दिनों का होगा. इसे लोग अधिकमास या मलमास भी कहते हैं. वहीं हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष 2083 में कुल 13 महीने होंगे.
अधिकमास 2026 तिथि
अधिकमास की शुरुआत 17 मई 2026 से होगी और यह 15 जून 2026 तक रहेगा. जब किसी वर्ष में कोई महीना दो बार पड़ता है तो उसे पुरुषोत्तम मास (Purushottam Maas) के नाम से भी जाना जाता है. अधिकमास चंद्र वर्ष का एक अतिरिक्त भाग है, जोकि हर 32 माह, 16 दिन और 8 घटी के अंतर से आता है. अधिकमास पड़ने का कारण है सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष के बीच अंतर का संतुलन बनाना.
क्यों पड़ता है अधिकमास
भारतीय गणना पद्धति के मुताबिक, सूर्य वर्ष 365 दिन का होता है जबकि चंद्र वर्ष 354 दिन का, दोनों वर्ष के बीच 11 दिनों का अंतर होता है और इसी अंतर को पाटने के लिए हर तीन साल में एक बार अधिकमास पड़ता है.
क्या निष्क्रिय होता है अधिकमास
धार्मिक मान्यता के अनुसार अधिकमास भगवान विष्णु का अत्यधिक प्रिय महीना होता है. इसलिए इसे पुरुषोत्तम मास के नाम से संबोधित किया गया है. इस महीने पूजा-पाठ, दान, धार्मिक ग्रंथों का पाठ, जप, व्रत उपवास करना उत्तम होता है. लेकिन अधिकमास में शुभ कार्य जैसे- विवाह, नामकरण, गृह प्रवेश, भूमि पूजन आदि जैसे काम वर्जित माने जाते हैं. इसका कारण यह है कि अधिकमास का उद्देश्य कैलेंडर को संतुलित करना है, इसलिए इसे ‘निष्क्रिय’ महीना माना जाता है.
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