Gemology: ज्योतिष शास्त्र में हर ग्रह के प्रतिनिधित्नव रत्न के बारे में बताया गया है. प्रत्येक व्यक्ति को रत्न अपनी राशि और ज्योतिष अनुसार ही रत्न धारण करना चाहिए. दापंत्य जीवन, प्रेम, सौंदर्य, आकर्षण और भोतिक सुख-सुविधाओं के ग्रह है शुक्र और इनका प्रतिनिधि रत्न हीरा (Diamond Gem Stone) है. लेकिन हीरा हर कोई आम व्यक्ति खरीद कर नहीं पहन सकता. इसलिए इसका उपरत्न धारण किया जा सकता है. इस उपरत्न का नाम है ओपल (Opal). आइए जानें ओपल रत्न धारण करने की सही विधि और इसके लाभ. 


ये लोग धारण कर सकते हैं ओपल (Who Can Wear Opal Gem Stone)


रत्न शास्त्र के अनुसार ओपल उपरत्न तुला और वृष राशि के जातकों के लिए उत्तम माना जाता है. ओपल रत्न को तुला राशि के जातक बर्थ-स्टोन के रूप में पहन सकते हैं. वहीं, ज्योतिष अनुसार ओपल मकर, कुंभ, मिथुन और कन्या राशि के जातक भी धारण कर सकते हैं. कुंडली में शुक्र के अशुभ स्तान पर होने पर ओपल धारण करने की सलाह दी जाती है. 


ज्योतिष जानकारों का  मानना है कि शुक्र के प्रथम, दूसरे, सातवें, नौवें या दसवें भाव में होने पर ओपल धारण किया जा सकता है. बता दें कि शुक्र ग्रह के शत्रु ग्रह चंद्रमा, सूर्य और बृहस्‍पति हैं इसलिए माणिक्‍य, मोती और पुखराज धारण किए हुए जातकों को ओपल रत्न धारण नहीं करना चाहिए. वहीं, पन्ना और नीलम रत्न के साथ ओपल उपरत्न को धारण किया जा सकता है क्योंकि शनि देव और शुक्र ग्रह में मित्रता का भाव है.


इसे धारण करने के लाभ (Benefits Of Wear Opal)


इसे पहनने से पति-पत्नी के बीच रिश्तों में आ रही खटास दूर होती है. संगीत, अभिनेता, अभिनेत्री, चित्रकला, नृत्य, टीवी, फिल्म, थिएटर, कम्पूटर, आईटी में काम करने वाले जातकों के लिए ये काफी शुभ फलदायी होता है. मान्यता है कि ओपल धारण करने वाले जातकों के जीवन में प्‍यार, खुशी और भाग्‍य का साथ मिलता है. वहीं, सामाजिक संबंध भी मजबूत होते हैं. रत्न शास्त्र के अनुसार व्‍यापारियों के लिए भी ये रत्न शुभ माना जाता है. ओपल धारण करने से मानसिक शांति आती है. वहीं, समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है. 


ओपल धारण करने की विधि (How To Wear Opal)


अगर कोई जातक ओपल धारण करने की सोच रहा है, तो इसे किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को धारण करना चाहिए. इसे सीधे हाथ की अनामिका अंगुली में पहना जाता है. पहनने से पहले अंगूठी को कच्चे दूध और गंगाजल से शुद्ध कर लें. इसके बाद अंगूठी को सफेद कपड़े के ऊपर रखें और शुक्र के इस मंत्र ऊं द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: का जाप करें. इसके बाद इसे धारण करें.    


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