ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी ग्रह का शुभ और अशुभ प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर देखने को मिलता है. इन्हीं प्रभावों को कम या ज्यादा करने के लिए रत्न शास्त्र में रत्न के बारे में बताया गया है. हर ग्रह से संबंधित एक रत्न होता है, जिसे उस ग्रह के अशुभ प्रभावों को कम करने और शुभ  प्रभावों को बढ़ाने के लिए धारण किया जाता है. 


ग्रहों के अशुभ प्रभावों से मन और बुद्धि का संतुलन बिगड़ने लगते हैं. व्यक्ति की मानसिक स्थिति खराब होने लगती है. लेकिन रत्नों से इन्हें ठीक किया जा सकता है. लेकिन रत्न अपनी मर्जी से धारण  हीं किया जा सकता है. इसके लिए ज्योतिषियों से सलाह अवश्य लेनी चाहिए. ज्योतिष शास्त्र में दो रत्नों को बहुत ही प्रभावशाली माना गया, लेकिन इन्हें धारण करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. आइए जानें. 


हीरा (Diamond)


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हीरा शुक्र ग्रह का रत्न है. इशे धारण करने से व्यक्ति को सुख, संपन्नता और सौंदर्य की प्राप्ति होती है. हीरा व्यक्ति के वैवाहित जीवन और खून पर प्रभाव डावता है. लेकिन इसे धारन करने में विशेष सावधानी की जरूरत है. धार्मिक मान्यता है कि खून या मधुमेह की समस्या वाले व्यक्ति को हीरा कतई भी धारण नहीं करना चाहिए. 


वहीं, दांपत्य जीवन में चल समस्याओं के चलते हीरा धारण करने से परहेज करें. दाग वाला या टूटा हुआ हीरा भी धारण करने से परहेज करें. इस बात का भी अवश्य ध्यान रखें कि हीरे के साथ मूंगा या फिर गोमेद भूलकर भी धारण न करें. इससे चरित्र खराब हो जाता है. 


नीलम (sapphire)


रत्न शास्त्र के अनुसार शनि का मुख्य रत्न नीलम हैं. शनि के प्रकोप से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को नीलम रत्न पहनने की सलाह दी जाती है. इसे धारण करने में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. बिना सलाह नीलम धारण करने से जीवन छिन्न-भिन्न हो सकता है. नीलम धारण करने से पहले इसकी जांच अवश्य करवा लें. इसे लोहे या चांदी में दारण करना अच्छा माना जाता है. वहीं, नीलम को सोने में धारण करना अनुकूल नहीं रहता. बता दें कि इसे बाएं हाथ में धारण किया जाता है. 


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