Budhwar Aarti: किसी भी धार्मिक कार्य में भगवान गणेश का सर्वप्रथम पूजन अनिवार्य माना जाता है. सबसे पहले गणेश जी की पूजा करने से पूजा सम्पन्न और सार्थक मानी जाती है. गणेश जी की वंदना करने से घर में अन्न-धन की कोई कमी नहीं होती साथ ही शुभ-मंगल कार्यों के उचित योग बनते हैं. उन्हें आमतौर पे बाधाओं के निवारण के रूप में पूजा जाता है. गणेश जी प्रगति और ज्ञान के देवता हैं. जब हम भगवान गणेश की पूजा करते हैं तो हमारे भीतर भी उनके गुण जागृत होते हैं. 

Continues below advertisement

गणेश जी के पूजन के जीवन के रास्ते आसान हो जाते हैं और मुश्किल काम भी आसानी से सिमट जाता है. व्यक्ति के काम के बीच की विघ्न-बाधा भी अपने आप ठीक हो जाती है और जीवन में खुशहाली आती है. पूजन समाप्त होने के पश्चात आरती गाई जाती है, आरती के बिना कोई भी पूजा पूरी नहीं मानी जाती है. प्रस्तुत है गणेश जी की आरती जिसके नियमित गायन से सारी बाधाएं और मुश्किलों अपने आप किनारे हो जाते हैं.   

Continues below advertisement

आरती गणेश जी की (Ganesh Ji Ki Aarti)

जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत,चार भुजा धारी ।माथे सिंदूर सोहे,मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े,और चढ़े मेवा ।लड्डुअन का भोग लगे,संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत,कोढ़िन को काया ।बांझन को पुत्र देत,निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥

'सूर' श्याम शरण आए,सफल कीजे सेवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो,शंभु सुतकारी ।कामना को पूर्ण करो,जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।माता जाकी पार्वती,पिता महादेवा ॥

ये भी पढ़िए - Geeta Gyan: उत्तम मनुष्य बनने के लिए करना पड़ता है इन 6 चीजों का त्याग, जानें गीता के अनमोल वचन

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.