इस बार विजयदशमी यानि दशहरे का पर्व 25 अक्टूबर को है. इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन लंकापति रावण का वध भगवान श्री राम ने किया था। लेकिन क्या इस दिन और रावण से जुड़ी एक खास बात आप जानते हैं….दरअसल, इसी दिन रावण ने ठीक अपने वध से पहले लक्ष्मण को कुछ खास उपदेश दिए थे. और ये उपदेश त्रेता युग से लेकर कलयुग में भी प्रासंगिक हैं. 


दरअसल, रावण शास्त्रों में पारंगत, विद्वान व महाज्ञानी ब्राह्मण था. जब राम के बाणों से वो घायल हो गया तो अपनी मृत्यु से कुछ क्षण पहले ही उसने लक्ष्मण को ये ज्ञान दिया. भगवना राम ने खुद लक्ष्मण से कहा था कि रावण के पास जाओ और जीवन से जुड़ी ऐसी शिक्षा दीक्षा हासिल करो जो शायद कहीं और से प्राप्त नहीं की जा सकती. तब रावण ने कुछ ऐसे उपदेश लक्ष्मण को दिए जो आज लोगों को ज़रुर अपने भीतर आत्मसात करने चाहिए. 



रावण के लक्ष्मण को दिए 5 उपदेश


पहला उपदेश - शत्रु को ना समझे कमज़ोर


जो पहला उपदेश रावण ने दिया वो था कि कभी भी अपने शत्रु को कमज़ोर समझने की गलती नहीं करनी चाहिए. क्योंकि कई बार कमज़ोर हमसे भी ज्यादा ताकतवर साबित होता है.



दूसरा उपदेश - बल का दुरुपयोग न करें


रावण के दूसरे उपदेश के मुताबिक कभी भी खुद के बल यानि ताकत का दुरुपयोग नही करना चाहिए। और ना ही अपने बल पर घमंड होना चाहिए. अन्यथा घमंड चूर चूर हो जाता है.



तीसरा उपदेश - हितैषियों की बात मानना ज़रुरी


रावण के लक्ष्मण को दिए तीसरे उपदेश के मुताबिक हमेशा हमें अपने हितैषियों की बातें माननी चाहिए. क्योंकि वो सदैव हमार भला ही चाहते हैं.



चौथा उपदेश - मित्र व शत्रु की पहचान ज़रुरी


इस उपदेश में बताया गया है कि व्यक्ति को हमेशा अपने शत्रु और मित्र की पहचान होनी चाहिए. क्योंकि कई बार जिन्हें हम अपना शत्रु समझते हैं वहीं हमारे सच्चे हितैषी साबित हो जाते हैं जबकि जिन्हें हम अपना शुभचिंतक समझते हैं वो पीठ में छूरा घोंपते हैं.



पांचवां उपदेश - पराई स्त्री पर बुरी नज़र नहीं डालनी चाहिए


इसके मुताबिक कभी भी किसी भी स्थिति में पराई स्त्री पर बुरी नजर नहीं डालनी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने वाला इंसान केवल नष्ट ही हो जाता है.  इतना विद्वानी होने के बाद भी रावण ने अपने जीवन में यही भूल की इसीलिए उसका विनाश हुआ.