प्रकृति ने रात्रि विश्राम के लिए और दिन उूर्जा के प्रयोग के लिए तय किया है. ब्रह्ममुहूर्त यानि भोर होने से पहले उठकर सक्रिय हो जाना सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. जिस प्रकार धूप से प्रत्येक पेड़ पौधा प्राणतत्व और उर्जा लेता है उसी प्रकार मनुष्य भी सूर्य से सक्रियता को प्राप्त करता है.


व्यक्ति के कार्य करने की गति रात्रि की अपेक्षा दिन में कई गुना अधिक होती है. इसे खेलों के माध्यम से समझा जा सकता है कि अत्यधिक गति और बल वाले खेलों को दिन में खिलाना उचित माना जाता है. दोपहर के समय व्यक्ति जैविक रूप से अधिक प्रभावशाली रहता है.


बड़े प्रयासों को सूर्याेदय के समय से शुरूआत करने वाले बेहतर परिणाम पाते हैं. एक रिसर्च के अनुसार दुनिया में अधिक धनवान लोगों को दिन में औरों की तुलना मंे अधिक सक्रिय और सकारात्मक पाया गया है. शास्त्रों में कहा गया है कि महत्वपूर्ण कार्याें को करते समय सूर्य या चंद्रमा सामने होना चाहिए. इसी कारण रात्रि कालीन कार्याें में शुक्ल पक्ष को प्राथमिकता दी जाती है. शुक्ल पक्ष में चंद्रमा रात्रि में उत्तरोत्तर दमकता रहता है. सूर्य का सामने होना व्यक्ति को आशंकाओं और भय से मुक्त रखता है. व्यक्ति के विचार स्पष्ट और तथ्यपूर्ण बनते हैं. कार्याें में सबलता आती है. वे बेहतर ढंग से पूर्ण होते हैं.