Children’s Day 2025: भारत में हर साल 14 नवंबर के दिन को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है. वैसे तो यह दिन देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती का प्रतीक है. लेकिन इसी के साथ यह बच्चों की निश्छलता और पवित्रता का उत्सव भी है जिससे हमें साक्षात ईश्वर के दर्शन हो जाते हैं.

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नेहरू जी बच्चों से बेहद प्रेम करते थे, इसलिए बच्चे उन्हें स्नेहपूर्वक चाचा नेहरू कहते थे. नेहरू जी का मानना था कि- बच्चे ही कल (भविष्य) के निर्माता हैं. इसलिए उनके भीतर बसती मासूमियत और सच्चाई ही भविष्य की नींव है.

जहां बच्चे हंसते हैं, वहां भगवान बसते हैं

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बच्चों को लेकर एक कहावत है कि- जहां बच्चे हंसते हैं, वहां भगवान बसते हैं. इस कहावत के पीछे गहरा दर्शन छिपा है. जो यह बताता है, बच्चों के निर्मल और निश्छल हृदय में भगवान का वास होता है. इस बात का वर्णन लगभग हर धर्म में भी मिलता है. वहीं हिंदू धर्म में तो कृष्ण, राम, हनुमान जैसे देवता बालक रूप में भी पूजे जाते हैं.

हालांकि बच्चे किसी धर्म, जाति या मत के बंधन में नहीं होते. उनका मन पवित्र और हृदय कोमल होता है. इसलिए मानव जीवन की हर अवस्था में बाल्यवस्था को सबसे प्यारा माना गया है, क्योंकि इस समय उनमें न किसी प्रकार का द्वेष होता है और ना छल की भावना. अगर कुछ होता है तो बस प्रेम.

बच्चे के चेहरे पर मुस्कान लाना पूजा से कम नहीं

बच्चों की निश्छल मुस्कान, निर्मल हृदय और मासूमियत में ईश्वर का साक्षात रूप दिखाई देता है. उनका स्नेह संसार की सबसे पवित्र भावना है और उनकी खिलखिलाहट किसी मंदिर की घंटी से कम नहीं होती. अगर आप ईश्वर का आशीर्वाद पाने के लिए कोई तीर्थ की नहीं कर सकते तो, किसी बच्चे के चेहरे पर मुस्कान ला दीजिए. बच्चे के चेहरे पर मुस्कान लाना किसी पूजा से कम पुण्य नहीं.

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