Chaturmas 2025: हिंदू धर्म में चातुर्मास महीने का अपना महत्व होता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक, आषाढ़ शुक्ल एकादशी (देवशयनी एकादशी) से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी (देवउठनी एकादशी) तक का 4 महीना विशेष धार्मिक काल का होता है.
ये समय भगवान विष्णु की योग निद्रा का प्रतीक होता है और इस दौरान व्रत, तप और श्रद्धा भाव से भक्ति करना शुभ माना जाता है.
चातुर्मास में शादी, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य करना वर्जित होता है. चातुर्मास के 4 महीने किसी भी तरह का शुभ काम नहीं किया जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि चातुर्मास में कौन-कौन से महत्वपूर्ण व्रत पड़ रहे हैं और इनकी तिथि क्या है?
चातुर्मास कब से कब तक?
- चातुर्मास की शुरुआत हो चुकी है. 6 जुलाई 2025 रविवार के दिन देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू हो चुका है.
- जबकि इसका समापन 2 नवंबर 2024 रविवार के दिन देवउठनी एकादशी के मौके पर होगा.
चातुर्मास 2025 में प्रमुख व्रत और पर्व की तारीख
| व्रत / पर्व | तिथि | दिन |
| देवशयनी एकादशी | 6 जुलाई | रविवार |
| प्रदोष व्रत (श्रावण) | 8 जुलाई और 23 जुलाई | मंगलवार और बुधवार |
| हरियाली अमावस्या | 21 जुलाई | सोमवार |
| सावन सोमवार व्रत (4) | 14, 21, 28 जुलाई और 4 अगस्त | सोमवार |
| नाग पंचमी | 27 जुलाई | रविवार |
| रक्षाबंधन (श्रावणी पूर्णिमा) | 9 अगस्त | शनिवार |
| कृष्ण जन्माष्टमी | 16 अगस्त | शनिवार |
| हरतालिका तीज | 28 अगस्त | गुरुवार |
| गणेश चतुर्थी | 30 अगस्त | शनिवार |
| ऋषि पंचमी | 31 अगस्त | रविवार |
| अनंत चतुर्दशी | 7 सितंबर | रविवार |
| पितृपक्ष आरंभ | 8 सितंबर | सोमवार |
| सर्वपितृ अमावस्या | 24 सितंबर | बुधवार |
| शारदीय नवरात्रि आरंभ | 30 सितम्बर | मंगलवार |
| दुर्गा अष्टमी | 6 अक्टूबर | सोमवार |
| महानवमी | 7 अक्टूबर | मंगलवार |
| विजयादशमी (दशहरा) | 8 अक्टूबर | बुधवार |
| कोजागरी पूर्णिमा | 16 अक्टूबर | गुरुवार |
| करवा चौथ | 20 अक्टूबर | सोमवार |
| धनतेरस | 29 अक्टूबर | बुधवार |
| दीपावली | 31 अक्टूबर | शुक्रवार |
| गोवर्धन पूजा | 1 नवंबर | शनिवार |
| भाई दूज | 2 नवंबर | रविवार |
| देवउठनी एकादशी | 2 नवंबर | रविवार |
देवशयनी और देवउठनी महत्वपूर्ण व्रत6 जुलाई 2025 को देवशयनी एकादशी थी. इसी दिन से चातुर्मास की शुरुआत हुई. मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में सोने चले जाते हैं. देवशयनी एकादशी का व्रत करने से सभी तरह के पापों का नाश होता है. इसके साथ ही विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है.
वही देवउठनी एकादशी 2 नवंबर 2025 को है. इस दिन भगवान विष्णु 4 महीने बाद योग निद्रा से जागते हैं और सभी तरह के शुभ कार्यों को करने की तारीख यहां से शुरू हो जाती है. भारत के कई हिस्सों में इसे तुलसी विवाह के रूप में भी मनाया जाता है.
चातुर्मास का महीना आत्मशुद्धि, पूजा, जप-तप और ध्यान के लिए सबसे बेहतर समय होता है. इस दौरान किए गए व्रत, उपवास, जप-तप और सेवा का कई गुना फल प्राप्त होता है. देवउठनी एकादशी का भी धार्मिक महत्व काफी ज्यादा है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.