Chanakya Niti: सुख का रहस्य ये नहीं जीवन में समस्याएं ही न हों बल्कि इसका राज ये है कि हमें समस्याओं को हल करने की कला सीखना चाहिए. चाणक्य नीति में सुखी जीवन के कई रहस्य बताए गए हैं. चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को सुखी रहना है तो उसे कभी 5 लोगों के काम में दखल नहीं देना चाहिए. आइए जानते हैं किन लोगों के काम के बीच नहीं आना चाहिए.


विप्रयोर्विप्रवह्नेश्च दम्पत्यो: स्वामिभृत्ययो:।


अन्तरेण न गन्तव्यं हलस्य वृषभस्।।



ज्ञानियों के बीच न आएं


आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में बताया है कि जब कभी भी दो ज्ञानी आपस में बातचीत कर रहे हों तो किसी भी व्यक्ति को उनके बीच से होकर नहीं निकलना चाहिए. ऐसा करने पर उनके काम में बाधा आती है. ये मूर्खता कहलाती है. समझदार व्यक्ति कभी ये कार्य नहीं करता क्योंकि इससे उसकी छवि को नुकसान होता है.


पति-पत्नी


चाणक्य नीति कहती है कि पति और पत्नी जीवन रूपी रथ के दो पहिए हैं, चाणक्य कहते हैं कि पति-पत्नी जब साथ मिलकर कोई कार्य कर रहे हों तो उनके काम में दखल नहीं देना चाहिए. साथ ही उनकी बातचीत के बीच टोकना नहीं चाहिए. इससे उनका एकांत भंग होता है.


हल और बैल


अगर हल और बैल एक साथ दिखाई पड़ जाते हैं तो भी उनके बीच से नहीं निकलना चाहिए. इससे आपको चोट पहुंच सकती है. यहां तक कि ऐसा करने पर जान जाने का खतरा हो सकता है.


हवन और पुजारी


जब कोई पुरोहित या पुजारी अग्नि कुंड के पास बैठा हो तो भी उसके बीच से किसी व्यक्ति को नहीं निकलना चाहिए. ऐसा करने से उनके पूजा-पाठ में विघ्न पड़ता है और हवन-यज्ञ में बाधा उत्पन्न होती है. इससे व्यक्ति पाप का भागी बनता है.


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