Amalaki Ekadashi Vrat Katha: साल 2024 में आमलकी एकादशी 20, मार्च बुधवार के दिन पड़ रही है. फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी या रंगभरी एकादशी कहते हैं.इस दिन भगवान विष्णु के साथ शिव जी की भी आराधना की जाती है. आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है. इस दिन आमलकी व्रत की कथा भी जरूर करें. यहां पढ़ें व्रत कथा.


आमलकी एकादशी व्रत कथा (Amalaki Vrat Katha)-
पौराणिक मान्यता के अनुसार वैदिश नाम का एक नगर था, उस नगर में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र रहते थे. वहां रहने वाले सभी नगरवासी विष्णु भक्त थे और वहां कोई भी नास्तिक नहीं था. उसके राजा का नाम था चैतरथ. राजा चैतरथ विद्वान थे और वह बहुत धार्मिक थे. उनके नगर में कोई भी व्यक्ति दरिद्र नहीं था. नगर में रहने वाला हर शख्स एकादशी का व्रत करता था. एक बार फाल्गुन महीने में आमलकी एकादशी आई. सभी नगरवासी और राजा ने यह व्रत किया और मंदिर जाकर आंवले की पूजा की और वहीं पर रात्रि जागरण किया. तभी रात के समय वहां एक बहेलिया आया जो कि घोर पापी था, लेकिन उसे भूख और प्यास लगी थी.


इसलिए मंदिर के कोने में बैठकर जागरण को देखने लगा और विष्णु भगवान व एकादशी महात्म्य की कथा सुनने लगा. इस तरह पूरी रात बीत गई. नगर वासियों के साथ बहेलिया भी पूरी रात जागा रहा. सुबह होने पर सभी नगरवासी अपने घर चले गए. बहेलिया भी घर जाकर भोजन किया. लेकिन कुछ समय के बाद बहेलिया की मौत हो गई.


हालांकि उसने आमलकी एकादशी व्रत कथा सुनी थी और जागरण भी किया था, इसलिए वह राजा विदूरथ के घर जन्म लिया. राजा ने उसका नाम वसुरथ रखा. बड़ा होकर वह नगर का राजा बना. एक दिन वह शिकार पर निकला, लेकिन बीच में ही मार्ग भूल गया. रास्ता भूल जाने के कारण वह एक पेड़ के नीचे सो गया. थोड़ी देर बाद वहीं म्लेच्छ आ गए और राजा को अकेला देखकर उसे मारने की योजना बनाने लगे. उन्होंने कहा कि इसी राजा के कारण उन्हें देश निकाला दिया गया. इसलिए इसे हमें मार देना चाहिए. इस बात से अनजान राजा सोता रहा. म्लेच्छों ने राजा पर हथियार फेंकना शुरू कर दिया. लेकिन उनके शस्त्र राजा पर फूल बनकर गिरने लगे.


कुछ देर के बाद सभी म्लेच्छ जमीन पर मृत पड़े थे. वही जब राजा की नींद खुली तो उन्होंने देखा कि कुछ लोग जमीन पर मृत पड़े हैं. राजा समझ गया कि वह सभी उसे मारने के लिए आए थे, लेकिन किसी ने उन्हें ही मौत की नींद सुला दी. यह देखकर राजा ने कहा कि जंगल में ऐसा कौन है, जिसने उसकी जान बचाई है. तभी आकाशवाणी हुई कि हे राजन भगवान विष्णु ने तुम्हारी जान बचाई है. तुमने पिछले जन्म में आमलकी एकादशी व्रत कथा सुना था और उसी का फल है कि आज तुम शत्रुओं से घिरे होने के बावजूद जीवित हो. राजा अपने नगर लौटा और सुखीपूर्वक राज करने लगा और धर्म के कार्य करने लगा.


आमलकी एकादशी क्या ना करें- 



  • इस दिन लहसुन, प्याज़, मसूर की दाल, गाजर, शलजम, गोभी, पालक, मांस, मदिरा आदि का सेवन न करें.

  • एकादशी के दिन बाल न कटवाएं और नाखून न काटें.

  • एकादशी के दिन चावल न खाएं.

  • इस दिन गुस्सा ना करें और मधुर वाणी बोले.


आमलकी एकादशी पर करें ये काम-



  • इस दिन व्रत का पालन करें, तुलसी पत्र चढ़ाएं औरभगवान विष्णु का ध्यान करें.

  • पीले फूल, माला, पीला चंदन, और तुलसी जल चढ़ाएं.

  • आंवले के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु की पूजा करें.

  • पूजा के बाद आंवले का भोग लगाएं.

  • पूजा के बाद आंवले के पेड़ के नीचे कलश स्थापित करें.

  • आंवले के पेड़ की पूजा के दौरान धूप, दीप, चंदन, रोली, फूल, और अक्षत आदि अर्पित करें.

  • गरीब या ब्राह्मण को भोजन कराएं.

  • अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर इस कलश, वस्त्र, और आंवला का दान कर दें.


Rangbhari Ekadashi 2024: रंगभरी एकादशी कब? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.