रविवार को सऊदी अरब ने कहा कि मौसम की स्थितियों के कारण रमजान महीने का चांद नहीं देखा जा सका. मीटिंग के बाद वहां की सुप्रीम कोर्ट ने शाम में चांद के सबूत नहीं मिलने का एलान किया यानी सऊदी अरब ने ये एलान किया कि उनके यहां रमजान की शुरुआत मंगलवार से होगी. गौरतलब है कि नया चांद दिखाई देने पर पवित्र महीना शुरू होने का एलान किया जाता है. भारत में अक्सर सऊदी अरब के एक दिन बाद रमजान की शुरुआत होती है, लेकिन ये जरूरी नहीं है. ऐसी स्थिति में भारत में अगर आज चांद देखा गया तो कल से ही रजमान की शुरुआत हो जाएगी, और अगर आज चांद नहीं नजर आया तो परसों से रमजान की शुरुआत होगी.
सऊदी अरब में कल से रमजान
इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक कल सऊदी अरब में शाबान महीने की कल 29 तारीख थी, जबकि भारत में 28 तारीख थी. आज यानि सोमवार को सऊदी अरब में शाबान महीने की 30 तारीख है, जबकि भारत में 29 तारीख है. इस हिसाब से सऊदी अरब में कल से रमजान शुरू हो जाएगा, लेकिन भारत में आज चांद दिखाई पड़ा तो पहला रोजा सऊदी अरब के साथ ही मंगलवार से ही शुरू हो जाएगा. और अगर चांद नजर नहीं आया तो पहला रोजा बुधवार से शुरू होगा.
भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में चांद को देखे जाने की स्वतंत्र व्यवस्था है. अगर इन देशों के मुसलमान आज चांद को देखे जाने की गवाही देते हैं, तब रमजान 13 अप्रैल, दिन मंगलवार से शुरू होगा, वरना चांद नहीं दिखाई देने की सूरत में 14 अप्रैल दिन बुधवार को पहला रोजा पड़ेगा.
मुसलमानों के लिए रमजान में रोजे रखना है जरूरी
आपको बता दें कि हर साल रमजान महीने की शुरुआत पिछले साल के मुकाबले 10 दिन पहले होती है और चंद्र वर्ष सूर्य वर्ष के मुकाबले छोटा होता है. 2020 में रमजान 23 अप्रैल को शुरू हुआ था. रमजान इस्लामी कैलैंडर का नौवां महीना होता है. इस महीने में दुनिया भर के मुसलमान सुबह से लेकर शाम तक उपवास रखते हैं.
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इस्लाम में रोजा बुनियादी पांच स्तंभों में से एक है. रमजान का रोजा हर मुसलमान, बालिग और दिमागी रूप से स्थिर शख्स पर फर्ज है. इस महीने की इस्लाम में बहुत बड़ा महत्व है. रमजान में मुसलमानों को दान-पुण्य करने पर विशेष जोर दिया गया है. अमीर मुसलमानों को अपनी आमदनी में से ढाई फीसद निकालना वाजिब है. ये रकम गरीबों के बीच वितरित की जाती है.
पवित्र महीना खुद को संयमित और अनुशासित बनाए रखने का नाम है. महीने के आखिरी दस दिनों के दौरान पांच विषम नंबर की रातों में से एक 'लैलतुल कद्र' पड़ता है. 29 या 30 रोजे बीतने पर नए महीने का एलान किया जाता है. नए महीने की शुरुआत खुशियों के त्योहार ईद से होती है.