Online Communication: इसमें कोई शक नहीं कि ऑनलाइन कम्युनिकेशन ने हमारे कई कामों को आसान बनाने का काम किया है. इसके माध्यम से हम अपनी बातों और विचारों को दूसरों तक आसानी से झट से पहुंचा सकते हैं. हालांकि हर चीज के कुछ फायदे तो कुछ नुकसान भी होते हैं. ऑनलाइन चैटिंग ने भले ही चौबीसों घंटे कनेक्टिविटी को आसान बनाया हो, लेकिन ये आज भी फेस-टू-फेस कम्युनिकेशन को ये टक्कर नहीं दे पाया है. टेक्स्ट और मैसेज के जरिए कई बार अर्थ का अनर्थ होते देखा जाता है. 

आपने कई बार ऑनलाइन चैटिंग के दौरान लोगों को यह सफाई जरूर दी होगी कि 'मेरा वो मतलब नहीं था'. ऐसा तब होता है जब हमारे विचार या बातें दूसरों तक उस तरह में नहीं पहुंचते, जिस तरह से उन्हें कहा गया होता है. कई बार इसकी वजह से रिश्तों के बिगड़ने की स्थिति पैदा हो जाती है. फेस-टू-फेस कम्युनिकेशन में कई बातों को कहने के लिए काफी साहस की जरूरत होती है, जबकि ऑनलाइन चैटिंग में कई बार सीमा पार हो जाती है. हम आपको 5 ऐसे डिस्कशन्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जो भूलकर भी आपको ऑनलाइन चैटिंग पर नहीं करनी चाहिए.   

टेक्स्ट पर कभी न करें ये 5 डिस्कशन्स 

1. माफी मांगना: अगर किसी बात के लिए आपको किसी से माफी मंगनी है तो हमेशा फेस-टू-फेस कम्युनिकेशन के दौरान ही ऐसा करें. क्योंकि कई बार ऐसा देखा जाता है कि टेक्स्ट पर माफी मंगने पर या तो सामने वाला रूड बिहेवियर दिखाता है या आपके मैसेज को इग्नोर कर देता है. वो आपकी भावनाओं को ठीक तरह से नहीं समझ पाता, क्योंकि उसको आपके फेशियल एक्सप्रेशन नहीं दिख रहे होते हैं.

2. अपमान: जब लोग गुस्से में होते हैं या किसी बात से परेशान होते हैं तो वो अक्सर टेक्स्ट के जरिए आप पर अपना रोष व्यक्त कर सकते हैं या दुख पहुंचाने वाली बातें कह सकते हैं. हालांकि फेस-टू-फेस कम्युनिकेशन में सामने वाले को देखकर उसकी स्थिति का अंदाजा लगाना आसान हो जाता है. हम समझ पाते हैं कि सामने वाला व्यक्ति दुखी है या टूटा हुआ है, इसलिए ऐसा व्यवहार कर रहा है. लेकिन अक्सर टेक्स्ट में किसी के रूड होने की वजह कई बार समझ ही नहीं आती.   

3. सीक्रेट: कोई राज़ यानी सीक्रेट हमेशा फेस-टू-फेस कम्युनिकेशन के दौरान ही खोला जाना चाहिए. क्योंकि टेक्स्ट में कई बातें तब तक सेव रहती हैं, जब तक कि उनको डिलीट ना किया जाए. ऐसे में अगर आपका कोई राज़ किसी के चैट लिस्ट में मौजूद है तो इसका डर हमेशा बना रहेगा कि उसे कहीं कोई और ना पढ़ ले.

4. फ्रस्ट्रेशन: फ्रस्ट्रेशन को निकालने के लिए कभी-भी टेक्स्ट का चुनाव नहीं करना चाहिए. क्योंकि ऐसे में आपको सामने वाला व्यक्ति गलत समझ सकता है. वो आपके बारे में ऐसे विचार पैदा कर सकता है, जिनका संबंध आपसे है ही नहीं. 

5. आर्ग्युमेंट: किसी भी बात पर बहस करने के लिए टेक्स्ट अक्सर एक अच्छा ऑप्शन साबित नहीं होता. क्योंकि दोनों ही लोग अपनी-अपनी बात कह रहे होते हैं और एक-दूसरे की बात पर गौर नहीं करते. फेस-टू-फेस कम्युनिकेशन में आपको एक-दूसरे की बातों को समझने का अवसर मिलता है. 

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