Muharram 2022 Significance and History: इस्लामिक न्यू ईयर की शुरुआत 29-30 (Islamic New Year 2022) जुलाई से हो चुकी है. इसके साथ ही इस्लामिक कैलेंडर के नए महीने मुहर्रम (Muharram 2022) की शुरुआत हो जाती है. हर साल इस्लामिक कैलेंडर की शुरुआत की डेट बदलती रहती है. इस्लामिक कैलेंडर (Islamic Calender) को हिजरी कैलेंडर भी कहा जाता है और यह ग्रेगोरियन कैलेंडर से करीब 11 दिन छोटा होता है. इसमें 365 दिन के बजाय केवल 354 दिन ही होता है.


क्या है मुहर्रम महीने का महत्व?
हिजरी कैलेंडर का सबसे पहला महीना मुहर्रम के नाम से जाना जाता है. यह रमजान (Ramzan) के महीने के बाद दूसरा सबसे पवित्र महीना माना जाता है. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार इस्लामिक साल की शुरुआत 622AD में हुई. इस महीने को शोक का महीना भी कहा जाता है क्योंकि इस महीने में इमाम हुसैन जो की पैगंबर मोहम्मद के पोते थे उनकी शहादत हुई थी. ऐसे में इस शहादत को याद करते हुए ज्यादातर मुस्लिम मुहर्रम के दिन जुलूस और ताजिया निकालते हैं. इस दिन मातम मनाते हुए लोग खुद को पीटते हैं और अंगारों तक पर चलते हैं.


इस साल कब मनाया जाएगा मुहर्रम का त्योहार
पिछले साल मुहर्रम का त्योहार भारत में 20 अगस्त 2021 को मनाया गया था. इस साल यह त्योहार 8 या 9 अगस्त को मनाया जाएगा. मुहर्रम के दसवें दिन को आशूरा कहते हैं. आशूरा के दिन ही भारत में मोहर्रम (Muharram 2022) का त्योहार मनाया जाता है. इसी महीने इस्लामिक नया साल होता है.


आशूरा का क्या है महत्व?
आशूरा (Ashura) को इस्लामिक इतिहास में सबसे शोक भरे दिनों में से एक माना जाता है. ये एक प्रकार से मातम का पर्व होता है. इस दिन इमाम हुसैन की शहादत की याद में भारत समेत पूरी दुनिया में शिया मुसलमान काले कपड़े पहनकर जुलूस निकालते हैं और उनके पैगाम को लोगों तक पहुंचाते हैं. हुसैन ने इस्लाम और मानवता की रक्षा के लिए के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी. ऐसे में  इस दिन को आशूरा यानी मातम का दिन के रूप में आज भी मनाया जाता है. इस दिन उनकी कुर्बानी को याद किया जाता है और ताजिया निकाला जाता है. 


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