Banarasi Silk Saree: बनारसी साड़ियों को गर्व के साथ भारत की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा कहा जा सकता है. ये साड़ियां हमारी परंपरा और कलाकारी की झलक प्रस्तुत करती हैं. बनारसी साड़ी किसी भी महिला के लिए एक खास आउटफिट होती है. इसकी खूबसूरती और शानदार क्राफ्टमैनशिप इसे और भी खास बनाती है. इसकी अनोखी डिजाइन, मुलायम सिल्क और शानदार कारीगरी इसे विशेष बनाती है, लेकिन बाजार में नकली बनारसी साड़ियों की भरमार है जो ग्राहकों को भारी नुकसान पहुंचा सकती है. एक असली बनारसी साड़ी की कीमत 20 हजार रुपये से शुरू होती है. उसका दाम उस पर की गई कारीगरी पर निर्भर करता है. बनारसी साड़ियों की लोकप्रियता ने बाजार में इनके नकली सामानों की भरमार पैदा कर दी है. बाजार में नकली बनारसी साड़ियां भी आसानी से मिल जाती हैं.  ऐसे में जरूरी है कि बनारसी साड़ी  खरीदने से पहले की यह जान लें की यह असली है या नकली. यहां  पहचानने के कुछ तरीके बताए जा रहे हैं. 

बनारसी सिल्क की पहचानअसली बनारसी साड़ियों की मुख्य पहचान सिल्क की चमकदार और मुलायम बनारसी सिल्क के धागों के साथ होती है. इसके लिए साड़ी के किनारों या पल्लू के कोनों को देखें और चमकदारी और मुलायमी की जांच करें. 

जरोक्का पैटनबनारसी साड़ियों में आमतौर पर एक जरोक्का पैटन होता है, जिसमें भारतीय बूटे, पैसली, और अन्य डिज़ाइन होते हैं. असली साड़ियों के जरोक्के का काम किसी महीने के सिल्क या ब्लेंडेड सिल्क की तरह होता है, जबकि नकली साड़ियों के जरोक्के किसी सस्ते सिल्क के होते हैं. 

बोर्डर और पल्लू की जांचअसली बनारसी साड़ियों के बोर्डर और पल्लू में तो एक हाथ से ही कढ़ाई की जाती है, जिससे डिज़ाइन साफ़ और सुंदर बनते हैं. लेकिन नकली वालों में ऐसी कढ़ाई बहुत फीकी और बेढंगी होती है. 

जरी (Zari) की जांचअसली बनारसी साड़ियों में जरदोजी (Zari) का काम सोने और चांदी के सूत से किया जाता है, जबकि नकली साड़ियों में यह काम आमतौर पर सोने और चांदी के प्लेटिंग से किया जाता है. इसे देखकर जरदोजी की असलीता की जांच कर सकते हैं.

सिल्क के गुणवत्ता की जांचअसली बनारसी सिल्क साड़ियां अक्सर अधिक महंगी होती हैं, क्योंकि वे बेहद उच्च गुणवत्ता के सिल्क से बनती हैं. साड़ी की लेबल पर सिल्क की गुणवत्ता को जांचें, और नकली साड़ियों से महंगे सिल्क की तुलना में उनके गुणवत्ता में कमी होती है. 

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