कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते दुनिया के ज्यादातर देशों में लॉकडाउन की स्थिति है. सरकारों ने सोशल डिस्टेंसिंग बरकरार रखने के लिए स्कूल, कॉलेज, शॉपिंग मॉल और भीड़भाड़ वाली जगहों पर मनाही कर दी है. आवागमन के साधन पर रोक लगा दी गई है. स्कूल, कॉलेज बंद होने की सूरत में सबसे ज्यादा चिंतित बच्चों के अभिभावक हैं. खाली वक्त में बच्चे क्या करें, कैसे अपना समय बिताएं. उनका दोस्तों से भी मिलना जुलना बंद हो गया है. बाहर निकल कर मनोरंजन भी नहीं कर सकते. ये चंद मुश्किल भरे सवाल हैं जिनसे अभिभावकों को इन दिनों सामना करना पड़ रहा है.

बच्चों को घर में रचनात्मक करने की सलाह

प्रोफेसर कैरी एलथोफ अमेरिका की जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में पढ़ाती हैं. उनका कहना है कि सोशल डिस्टेंसिंग बच्चे, युवा सभी के लिए जरूरी है. बच्चे आपस में खेल-कूद कर अपना खाली समय बीता सकते हैं मगर बॉस्केटबॉल, फुटबॉल जैसे खेलों में कम से कम दो मीटर की दूरी बनाए रखना मुश्किल है. उनकी सलाह है कि टेनिस या छप्पन छुपाई जैसे खेल के दौरान बच्चे डिसटेंस बरकरार रखते हैं तो फिर चिंता की कोई बात नहीं. बेहतर है कि अभिभावक बच्चों को घर पर रचनात्मक कार्य करने दें. उनसे चित्रकारी या कसीदाकारी के काम करवाकर. इसके अलावा घर की साफ-सफाई, खाना पकाने में भी बच्चों को अपने साथ शामिल करें.

अभिभावक अपने साथ बच्चों पर भी रखें ध्यान

विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल डिसटेंसिंग का ये मतलब नहीं कि आप लोगों के संबंध में ना रहें बल्कि जरूरी है कि इंटरनेट या तकनीक के माध्यम से संपर्क में रहें. जहां तक बच्चों की बात है तो उन्हें मैदान या पार्क में खेल के सामान छूने ना दें. ऐसा देखने में आया है कि कोरोना वायरस खेल के सामान पर भी कई दिन तक मौजूद रह सकता है. इसका मतलब ये हुआ कि आपका बच्चा और उसके दोस्त देखने में भले स्वस्थ नजर आते हैं मगर फिर भी आसपास मौजूद लोगों में वायरस फैला सकते हैं. इसलिए जरूरी है कि अभिभावक खुद भी अपना ध्यान रखें और बच्चों पर भी ध्यान दें.

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