एक संतुलित और पौष्टिक आहार शरीर के लिए सबसे बेहतरीन इलाज है. एक बार गठिया हो जाने पर उसका कोई उपचार नहीं है, सिर्फ जीवन शैली में बदलाव लाकर बीमारी को काबू किया जा सकता है. इस सिलसिले में लोगों की अक्सर उलझन बरकरार रहती है. अक्सर उन्हें कहते हुए सुना जा सकता है कि समस्या का मुकाबला करने के लिए क्या खाएं और क्या नहीं खाएं.

विशेषज्ञ डॉक्टर श्रद्धा माहेश्वरी ने बताया, "हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए एंटी ऑक्सीडेंट्स, विटामिन ए, सी, डी, ई और सूजन रोधी से भरपूर फूड्स को डाइट में शामिल करना चाहिए. ज्यादा शुगर, ज्यादा नमक के तत्व वाले फूड्स, गैस से भरा हुआ ड्रिंक, प्रोसेस्ड फूड्स, रेड मीट को नजरअंदाज करना चाहिए और अल्कोहल गठिया के रोगियों के लिए नुकसानदेह है.

इसलिए उसका सेवन करने से बचना चाहिए. हर शख्स के बॉडी टाइप पर आधारित खास फूड ज्यादा मुफीद होते हैं और इसलिए उनका पहचान होना लंबे समय तक गठिया के खिलाफ लड़ाई के लिए जरूरी है." उनका कहना है कि गठिया के मरीजों की डाइट में फूड्स को शामिल करने और फूड्स को कम करने की जानकारी होना चाहिए.

मछली और मांस कुछ खास मछलियों में ओमेगा-3 फैट्टी एसिड की अच्छी मात्रा पाई जाती है. ये सूजन से लड़ाई में मदद करता है. फिश जैसे टूना, टूना, सैल्मन और सार्डिन में ओमेगा-3 फैट्टी एसिड होते हैं और इस तरह गठिया वाले मरीजों के लिए मुफीद होते हैं. मांस जैसे चिकन से प्रोटीन की अच्छी मात्रा मिलती है जो कोशिकाओं के स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है.

सावधानी रिसर्च से पता चला है कि रेड और प्रोसेस्ड मीट में सूजन बढ़ानेवाले मार्कर का ऊंचा लेवल पाया जाता है और गठिया के लक्षणों को खराब या ज्यादा कर सकता है. बेकन, पैन-फ्राइड या ग्रिल्ड स्टेक, भुना या तले हुए चिकन में प्रोटीन और जानवर के फैट्स की अधिक मात्रा पाई जाती है. ये प्रोडक्ट्स शुगर और प्रोटीन या फैट्स के बीच प्रतिक्रिया कर तैयार किए जाते हैं. जब हड्डियों और जोड़ों में इन प्रोडक्ट्स की ऊंची मात्रा पहुंचती है, तो पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस की बढ़ोतरी और विकास में भूमिका अदा कर सकते हैं.

नट्स और बीज सूजन से लड़ने के लिए मददगार मोनोअनसैचुरेटेड फैट्टी एसिड से भरपूर नट्स गठिया के लिए शानदार फूड्स हैं. नट्स में कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक, विटामिन ई और फाइबर का ऊंचा लेवल पाया जाता है. गठिया रोगियों के लिए नट्स जैसे अखरोट, पिस्ता और बादाम सबसे बेहतर हैं.

सावधानी नट्स और बीज में फैट और कैलोरी तुलनात्मक रूप से ज्यादा होता है. नट्स खाते वक्त गठिया रोगियों के लिए मात्रा पर ध्यान देना जरूरी है. एक मुट्ठी नट्स और बीज रोजाना खाना गठिया से जुड़े सूजन को काबे करने में फायदा पहुंचाता है.

फल और सब्जी ज्यादातर बीमारियों के लिए फल और सब्जी से भरपूर डाइट खाने का सुझाव दिया जाता है. फल और सब्जी फाइबर, एंटी ऑक्सीडेंट्स और विटामिन से भरे होते हैं. फल जैसे चेरी, स्ट्रॉबेरी, रसभरी, ब्लूबेरी और ब्लैकबेरी सूजन रोधी से भरपूर फूड्स हैं. संतरा, नींबू और चकोतरा विटामिन सी के प्रमुख स्रोत हैं. इस तरह सूजन से होनेवाले गठिया को रोकने और स्वस्थ जोड़ों को बहाल रखने में मदद कर सकते हैं. ब्लड में सूजन वाले मार्कर को कम करनेवाले ब्रोकोली, पालक, लेट्यूस, काले, गोभी गठिया के लिए फायदेमंद हैं.

तेल जैतून के तेल में पेन किलर दवाइयों के गुण पाए जाते हैं. जैतून तेल खास तरह के एंजाइम को दबाता है जो सूजन को काबू करने में मदद करता है औऱ इस तरह गठिया रोग में मदद करता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि मछली के तेल से भरपूर सप्लीमेंट्स का लेना भी जोड़ के दर्द को कम करने और सुबह में जोड़ों की सख्ती को सुधारने में सहायक है.

सावधानी खास सब्जी का तेल भी ओमेगा-3 फैट्स से भरपूर होता है. हालांकि, ये फैट्स स्वास्थ्य के लिए जरूरी है, लेकिन ओमेगा-3 और ओमेगा-6 के बीच असंतुलन सूजन को बढ़ा सकता है. इसलिए सही संतुलन बनाने के लिए जरूरी है.

साबुत अनाज साबुत अनाज के फूड्स जैसे गेहूं का आटा, से बना दलिया, ब्राउन राइस और क्विनोआ में फाइबर की मौजूदगी शरीर का सेहतमंद वजन बनाए रखने और सूजन को कम करने में फायदा पहुंचाता है.

सावधानी ग्लूटेन नामक प्रोटीन गेहूं, जौ और अन्य अनाज में पाया जाता है. कुछ लोग ग्लूटेन के प्रति संवेदनशील होते हैं और इस तरह के लोगों को खानेवाले साबुत अनाज पर सतर्क रहने की जरूरत होती है. रूमेटाइड गठिया के मरीज और दूसरी ऑटोइम्यून किस्में ग्लूटेन संवेदनशीलता का जोखिम बढ़ाती हैं. इसलिए ऐसे फूड्स के इस्तेमाल से बचना चाहिए.

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