Pregnancy Tips : जब एक नए जीवन का निर्माण होता है, तो उस छोटे से जीव की सुरक्षा और स्वास्थ्य सबसे अहम हो जाता है. शिशु के लिए मां का गर्भ एक सुरक्षित कवच की तरह होता है, लेकिन फिर भी कुछ टेस्ट इस सुरक्षा कवच को और मजबूती बनाने के लिए करते हैं. गर्भावस्था के दौरान मां को कई प्रकार के टेस्ट और स्क्रीनिंग टेस्ट करवाने पड़ते हैं. ये टेस्ट गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य और विकास की निगरानी रखने में मदद करते हैं. ऐसे ही कुछ टेस्ट है बल मार्कर, अल्ट्रासाउंड, ब्लड टेस्ट से लेकर अन्य टेस्ट गर्भ में पल रहे जीवन को सुरक्षित रखने का काम करते हैं. ये टेस्ट मां और बच्चे के लिए एक सुरक्षा कवच का काम करते हैं.
क्यों करवाना चाहिए यह टेस्ट गर्भावस्था के दौरान गर्भस्थ शिशु की सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कुछ जरूरी स्क्रीनिंग टेस्ट किए जाते हैं. इनमें से डबल मार्कर टेस्ट और ट्रिपल मार्कर टेस्ट काफी अहम होते हैं. ये टेस्ट गर्भस्थ शिशु में किसी जेनेटिक असामान्यता या विकार का पता लगाने में मदद करते हैं. डबल मार्कर टेस्ट को गर्भावस्था के 11वें से 13वें सप्ताह के बीच में करवाया जाता है. यह टेस्ट डाउन सिंड्रोम जैसी जेनेटिक बीमारियों की पहचान करने में सहायक होता है. ट्रिपल मार्कर टेस्ट 16वें से 18वें सप्ताह में किया जाता है और यह डाउन सिंड्रोम समेत अन्य जेनेटिक विकारों का पता लगाने में मददगार साबित होता है. इन टेस्ट से समय रहते गर्भस्थ शिशु में विकार होने का पता चल जाता है और उपचार के लिए तैयारी की जा सकती है. इसलिए गर्भावस्था में डबल और ट्रिपल मार्कर टेस्ट बहुत जरूरी और फायदेमंद होते हैं.
जानें यह टेस्ट कैसे होता है डबल मार्कर टेस्ट और ट्रिपल मार्कर टेस्ट में मां के खून के सैंपल लिया जाता है और जांच के लिए लैब जाता है.इसके नतीजे आनें में एक से दो हफ्ते लग जाते हैं. ये टेस्ट बच्चे में होने वाली कुछ गंभीर बीमारियों का पहले से पता लगाने में मदद करते हैं. इन टेस्ट से हमें पता चल जाता है कि बच्चे को कोई समस्या तो नहीं है ना. अगर बच्चे में कोई बीमारी है तो इलाज की तैयारी पहले से की जा सकती है. ऐसे केस में डॉक्टर बच्चे का इलाज पहले से शुरू कर सकते हैं.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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