स्टेरॉयड आमतौर पर गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों के लिए सुरक्षित होते हैं, लेकिन डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसे दिया जाता है. गर्भवती महिला 9 महीने पूरे होने पर लेबर पेन न होने की स्थिती या जन्म के दौरान या बाद में बच्चे को सांस लेने की दिक्कत हो रही है तो उस दौरान स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया जाता है. अगर किसी महिला को लेबर पेन नहीं हो रहा है ऐसी स्थिति में सर्विक्स के फैलाव के लिए स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया जाता है ताकि डिलीवरी आराम से करवाया जा सके.
एक चीज का जरूर ध्यान रखें कि यह हर गर्भवती महीला को यह नहीं दिया जाता है. कुछ स्पेशल केस या कह सकते हैं इमरजेंसी के दौरान डॉक्टर इसे देने की सलाह देते हैं. क्योंकि इसके लॉंन्ग टर्म नुकसान है. जो बच्चे समय से पहले जन्म ले लेते हैं और उन्हें सांस लेने दिक्कत होती है तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर स्टेरॉयड देते हैं ताकि बच्चे की जिंदगी बचाई जा सके..
स्टेरॉयड के जोखिम
स्टेरॉयड 35 सप्ताह के बाद पैदा होने वाले बच्चों में कम रक्त शर्करा का कारण बन सकते हैं. कुछ शोध बताते हैं कि स्टेरॉयड बच्चे के न्यूरोडेवलपमेंट को प्रभावित कर सकते हैं. स्टेरॉयड को 37 सप्ताह के बाद अनुशंसित नहीं किया जा सकता है जब तक कि कोई अच्छा कारण न हो.
स्टेरॉयड पर कब देना चाहिए
यदि आप 22 से 35 सप्ताह की गर्भवती हैं और समय से पहले प्रसव का खतरा है. यदि आप 34 से 36 सप्ताह की गर्भवती हैं और 7 दिनों के भीतर समय से पहले जन्म का खतरा है.
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समय से पहले लबेर पेन के लक्षण
यदि आपको किसी ऐसी स्थिति के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है जिसके परिणामस्वरूप समय से पहले प्रसव हो सकता है. कौन से स्टेरॉयड का उपयोग किया जाता है बीटामेथासोन (सेलेस्टोन) और डेक्सामेथासोन (डेकाड्रोन).
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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