सर्दी का मौसम जैसे-जैसे दस्तक दे रहा है, वैसे-वैसे लोगों की सेहत पर इसका असर साफ दिखने लगा है. सुबह-शाम की ठंड और दिन में कभी-कभी निकलने वाली हल्की धूप का खेल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर बना रहा है. इसकी वजह से वायरल बुखार, जुकाम, खांसी, गले में खराश और पूरे बदन में दर्द के मरीजों की तादाद अस्पतालों में तेजी से बढ़ रही है. खासकर बच्चे और बुजुर्ग इस मौसम में सबसे ज्यादा परेशान हो रहे हैं, क्योंकि उनकी इम्यूनिटी पहले से ही कमजोर होती है.

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अस्पतालों में तेजी से बढ़े मरीज

हालिया रिपोर्ट्स पर गौर करें तो नवंबर 2025 के पहले पखवाड़े में ही नॉर्थ इंडिया के बड़े अस्पतालों में वायरल इंफेक्शन के केस 30-40 फीसदी तक बढ़ गए हैं. दिल्ली-एनसीआर, लखनऊ और कानपुर जैसे शहरों में ओपीडी में रोजाना सैकड़ों मरीज बुखार और खांसी की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, इस बार वायरल का रूप थोड़ा अलग है. पहले बुखार 2-3 दिन में उतर जाता था, अब वह ठीक होने के बाद भी सूखी खांसी, गले में जलन, कमजोरी और थकान जैसी दिक्कतें काफी वक्त तक परेशान कर रही हैं. कई मरीज तो हल्का बुखार ठीक होने के एक हफ्ते बाद अचानक खांसी के तेज दौरे पड़ने पर दोबारा अस्पताल आ रहे हैं.

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क्यों बढ़ रही है दिक्कत?

डॉक्टरों की मानें तो इस बार इंफ्लुएंजा ए और बी वायरस के साथ-साथ रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (आरएसवी) भी एक्टिव है. बच्चों में आरएसवी की वजह से ब्रॉन्कियोलाइटिस के केस बढ़े हैं, जबकि बुजुर्गों में निमोनिया का खतरा ज्यादा है. इंडियन मेडिकल असोसिएशन (आईएमए) की लेटेस्ट एडवायजरी में कहा गया है कि मौसम के बदलाव के साथ प्रदूषण का लेवल भी बढ़ रहा है, जो वायरल को ज्यादा खतरनाक बना रहा है. दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 के पार पहुंच चुका है, जिससे सांस की तकलीफें दोगुनी हो रही हैं.

डॉक्टर ने बताए बचाव के तरीके

मेदांता हॉस्पिटल नोएडा की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अर्पिता कुलश्रेष्ठ के मुताबिक, लोगों को लगता है कि हल्का-सा बुखार है, खुद ही ठीक हो जाएगा. यही छोटी-सी लापरवाही बड़ी मुसीबत बन जाती है. वायरल में शरीर को पूरा आराम चाहिए. दवाइयां बीच में छोड़ना, रात भर जागना, बाहर का तला-भुना खाना और ठंड से बचाव न करना, ये सब दोबारा बीमार करने का न्योता देते हैं. इस बार कई मरीजों को कोविड जैसी पोस्ट-वायरल थकान हो रही है, जो हफ्तों तक चलती है. ऐसे में शुरू से ही सतर्क रहे.

इन बातों का रखें ध्यान

डॉ. कुलश्रेष्ठ के मुताबिक, अगर बुखार 101 डिग्री से ऊपर हो और खांसी के साथ बलगम में खून आए या सांस लेने में तकलीफ हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलें. बच्चों में अगर तेज सांस चल रही हो या खाना-पीना छोड़ दिया हो तो इंतजार बिल्कुल न करें. इस मौसम में एंटीबायोटिक्स की जरूरत बहुत कम पड़ती है, क्योंकि ज्यादातर केस वायरल के होते हैं. गलत दवा लेने से बैक्टीरियल रेसिस्टेंस बढ़ता है, जो बाद में बड़ी बीमारी का कारण बन सकता है. बच्चों को स्कूल भेजने से पहले मास्क जरूर लगवाएं. घर में हैंड सैनिटाइजर रखें और बार-बार हाथ धुलवाएं. ठंडी हवा से बचाने के लिए गर्म कपड़े पहनाएं, लेकिन ज्यादा गर्मी भी न दें वरना पसीना आने पर फिर जुकाम हो जाएगा. 

इन नुस्खों को आजमाने से मिलेगा फायदा

गर्म पानी में हल्दी-नमक डालकर गरारा करें. अदरक वाली चाय पिएं. शहद के साथ तुलसी का काढ़ा लें, लेकिन ये सब दवाइयों की जगह नहीं ले सकते. अगर लक्षण 3-4 दिन से ज्यादा रहें तो सेल्फ मेडिकेशन बंद कर दें. विटामिन सी और डी की कमी भी इम्यूनिटी कम करती है, इसलिए संतरा, आंवला, दही और धूप जरूर लें.

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.