Difference Between Alzheimer And Dementia: ये दोनों ही याददाश्त से जुड़ी बीमारियां हैं. इसलिए अक्सर आम लोगों को इनके बीच के अंतर को समझने में दिक्कत होती है. अल्जाइमर और डिमेंशिया में क्या अंतर है? इसी सवाल को हमने उद्गम मेंटल हॉस्पिटल ऐंड रिहैबिलिटेशन सेंटर के सीनियर सायकाइट्रिस्ट डॉक्टर राजेश कुमार से पूछा तो उन्होंने इन दोनों बीमारियों के बीच का अंतर और इनका आपस में क्या लिंक है, ये दोनों बातें बहुत ही आसान भाषा में बताई...

अल्जाइमर और डिमेंशिया में क्या अंतर है?

  • इन दोनों बीमारियों में सबसे बड़ा अंतर ये है कि डिमेंशिया एक सिंड्रोम है और अल्जाइमर एक डिजीज है. सिड्रोंम जिस भी बीमारी से संबंधित होता है, वो उस बीमारी के लक्षणों का समूह होता है. आप इस बात को ऐसे भी समझ सकते हैं कि डिमेंशिया के अंतर्गत अल्जाइमर डिजीज आती है.
  • मान लीजिए कि डिमेंशिया एक फोल्डर है, जिसमें कई अलग-अलग समस्याओं से जुड़ी फाइलें रखी गई हैं. जैसे, याददाश्त से जुड़ी समस्याएं, तर्क शक्ति कम करने वाली समस्याएं, सोचने-समझने की क्षमता को कम करने वाली दिक्कतों की फाइल इत्यादि. इन्हीं में से एक फाइल अल्जाइमर की भी है. डिमेंशिया के अंतर्गत आने वाली बीमारियों में अल्जाइमर सबसे आम बीमारी है. खास बात ये है कि अल्जाइमर में डिमेंशिया की कई बीमारियों के लक्षण भी नजर आ सकते हैं.

पहचानने में होती है दिक्कत

  • इन दोनों ही बीमारियों के लक्षण एक-दूसरे से इतने मिलते-जुलते होते हैं कि अक्सर ओवर-लैपिंग हो जाती है. इसलिए एक्सपर्ट्स की मदद से ही बीमारी की सही पहचान की जा सकती है.
  • कुछ साल पहले तक या कहिए कि एक दशक पहले तक अल्जाइमर और डिमेंशिया को बुढ़ापे की बीमारी माना जाता था लेकिन आज के समय में ये समस्या मिडिल ऐज में भी देखने को मिल रही है और यहां तक कि अन्य मेंटल हेल्थ इश्यूज के साथ युवाओं में भी इस बीमारी के लक्षण दिखने लगे हैं.

क्या हैं इन बीमारियों के लक्षण?

  • अल्जाइमर और डिमेंशिया में पेशेंट अपनी भाषा पर पकड़ खोने लगता है, उसकी याददाश्त कमजोर हो जाती है, सोचने-समझने और विचार करने की क्षमता कम हो जाती है या बुरी तरह प्रभावित होती है. हालांकि अल्जाइमर में ऐसा तभी होता है, जब ये क्रिटिकल स्टेज पर पहुंच जाए.
  • यदि इन बीमारियों के प्रारंभिक लक्षणों को अनदेखा किया जाए और समय पर इलाज ना कराया जाए तो पेशेंट अपने डेली रुटीन के काम भी नहीं कर पाता है. ठीक से कपड़े पहनना, भोजन करना जैसी डेली ऐक्टिविटीज भी उससे नहीं हो पाती हैं. इसलिए मेंटल हेल्थ को कभी भी हल्के में ना लें और बीमारियों के बढ़ने से पहले ही एक्सपर्ट्स की मदद लें.

 

यह भी पढ़ें: पूरी तरह ठीक हो सकता है ब्लड कैंसर...दिल्ली की ऑन्कोलजिस्ट ने बताई इलाज से जुड़ी कई जरूरी बातें