ट्रांसजेंडर महिलाओं (Transgender Women) में ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) के जोखिम के बारे में कोई खास जानकारी तो नहीं मिली है. हालांकि साल 2019 में एक डच स्टडी के मुताबिक कुछ आंकड़ें मिले हैं. जिनसे पता चला है कि ट्रांसजेंडर महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम काफी ज्यादा रहता है. एक रिसर्च के मुताबिक हार्मोन थेरेपी लेने वाले ट्रांसजेंडर लोगों में ब्रेस्ट कैंसर के मामलों की जांच की गई. जिसमें  1972 से लेकर साल 2016 के बीच नीदरलैंड के वीयू यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर एम्स्टर्डम के जेंडर क्लिनिक से जेंडर सर्जरी का लेखा-जोखा प्राप्त किया गया. इसी क्लिनिक को इसलिए सुना गया क्योंकि यह मशहूर पब्लिक हेल्थ केयर है. जहां नीदरलैंड के 95 प्रतिशत से अधिक ट्रांसजेंडर लोग अपने इलाज के लिए आते हैं. 


हार्मोन थेरेपी के कारण रहता है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा


रिसर्चर के मुताबिक हार्मोन थेरेपी प्राप्त करने वाली ट्रांसजेंडर महिलाओं में सिजेंडर पुरुषों की तुलना में स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. अध्ययन के डेटा से यह भी पता चलता है कि केवल थोड़े समय के लिए लिंग पुष्टि करने वाले हार्मोन के साथ इलाज किए जाने के बाद जोखिम बढ़ गया.अध्ययन के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि जिन ट्रांसजेंडर महिलाओं को स्तन कैंसर विकसित हुआ, उन्हें अक्सर सिजेंडर महिलाओं की तुलना में कम उम्र में यह बीमारी हो गई. अध्ययन में ट्रांसजेंडर महिलाओं के लिए स्तन कैंसर निदान की औसत आयु 52 थी.नीदरलैंड में सिजेंडर महिलाओं के लिए स्तन कैंसर निदान की औसत आयु 61 है.


अभी भी अधिक अध्ययन और जानकारी की आवश्यकता है. हालांकि, इस अध्ययन से पता चलता है कि हार्मोन थेरेपी से ट्रांसजेंडर महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.हालांकि यह जोखिम सिजेंडर महिलाओं के लिए जोखिम से कम माना जाता है, लेकिन यह इतना महत्वपूर्ण जोखिम है कि ट्रांसजेंडर महिलाओं के लिए स्क्रीनिंग और स्तन कैंसर की शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.


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