Pune Hostage Case: पुणे में 30 अक्टूबर को बड़ा हादसा टल गया. महावीर क्लासिक बिल्डिंग परिसर स्थित एक स्टूडियो में रोहित आर्या नाम के व्यक्ति ने 17 बच्चों को बंधक बना लिया था. घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया. कुछ ही देर में सभी बच्चों और एक महिला को सुरक्षित निकाल लिया गया. हालांकि, ऑपरेशन के दौरान रोहित आर्या की मौत हो गई. उसका कहना था  कि उसे एक सरकारी ठेके का भुगतान नहीं मिला, जिसके बाद उसने यह कदम उठाया. चलिए आपको बताते हैं कि ऐसा कदम कैसे लोग उठाते हैं?

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कौन-से लोग ऐसे कदम उठाते हैं?

साइकोलॉजिस्ट के मुताबिक, कई बार आर्थिक नुकसान या काम की अनदेखी इंसान को भीतर तक तोड़ देती है. जब किसी को बार-बार अपमान या अन्याय का अहसास होता है, तो वह अपनी नाराजगी को गलत दिशा में निकाल सकता है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज की National Mental Health Survey 2015-16 रिपोर्ट के अनुसार, भारत की वयस्क आबादी में लगभग 10.6 प्रतिशत लोग किसी न किसी मानसिक विकार से प्रभावित हैं. रिपोर्ट यह भी बताती है कि इन लोगों में से बहुत बड़ी संख्या को इलाज या मनोवैज्ञानिक सहायता नहीं मिल पाती, जिसे ट्रीटमेंट गैप कहा जाता है.

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सामाजिक और पारिवारिक दूरी

आज के दौर में लोग अपने संघर्षों में अकेले पड़ जाते हैं. परिवार या समाज से इमोशनल जुड़ाव कमजोर पड़ने पर व्यक्ति को न तो सहारा मिलता है, न सलाह. ऐसे में छोटी-छोटी बातें भी अंदर गुस्से का पहाड़ बना देती हैं. एक्सपर्ट का मानना है कि अगर ऐसे लोगों को समय रहते कोई सुन ले, समझ ले या मदद कर दे तो कई घटनाएं टाली जा सकती हैं.

मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान क्यों जरूरी है?

भारत में मानसिक स्वास्थ्य को अब भी उतनी गंभीरता से नहीं लिया जाता, जितनी जरूरत है. WHO की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में हर साल करीब 8 लाख लोग मानसिक या भावनात्मक कारणों से सुसाइड समेत कई गलत कदम उठाते हैं, और इनमें से कई ऐसे होते हैं जो पहले मदद नहीं मांगते. अगर समाज, परिवार और दफ्तर का माहौल थोड़ा सहानुभूतिपूर्ण हो, तो ऐसे हादसों को काफी हद तक रोका जा सकता है. जब किसी इंसान की बात नहीं सुनी जाती, जब उसका हक या मेहनताना नजरअंदाज होता है, तो वह धीरे-धीरे अंदर से टूटने लगता है. ऐसे में कुछ लोगों को बाकी कोई कदम नहीं सूझता तो वे लोग इस तरह के कदम उठा लेते हैं.

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.