नयी दिल्ली: बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम करने वाले आधे से अधिक कर्मचारियों का कहना है कि उनकी कंपनियां कर्मचारियों को स्वस्थ और तंदुरूस्त रखने के लिये किसी तरह का कोई कार्यक्रम नहीं चलातीं हैं. उद्योग मंडल एसोचैम के एक सर्वे में यह निष्कर्ष सामने आया है.

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क्या कहता है सर्वे- एफएमसीजी, मीडिया, सूचना प्रौद्योगिकी/सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित सेवाओं और रीयल एस्टेट समेत अन्य क्षेत्रों की कंपनियों में किए गये सर्वे में कहा गया है कि कॉरपोरेट स्वास्थ्य योजना को अपनाकर भारतीय उद्योग कर्मचारियों की अनुपस्थिति दर में एक प्रतिशत की कमी लाकर 2018 में 20 अरब डॉलर की बचत कर सकते हैं.

क्या कहती है रिपोर्ट- रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 52 प्रतिशत कर्मचारियों ने खुलासा किया है कि उनकी कंपनी इस तरह की कोई योजना नहीं चलाती है, जबकि शेष बचे कर्मचारियों में से 62 प्रतिशत का कहना है कि वर्तमान में उनकी कंपनी द्वारा चलाई जा रही योजना में सुधार की जरुरत है. 'संस्थान और अर्थव्यवस्था के लिए स्वास्थ्य संबंधी योजना के लाभ' पर एसोचैम द्वारा पेश किए दस्तावेज के मुताबिक इस तरह की योजनाएं कर्मचारियों की जटिल और जीवनशैली से संबंधित बीमारियों में सुधार कर सकती हैं.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि योजना पर एक रुपये खर्च करने पर नियोक्ता को अनुपस्थिति लागत में कमी आने पर 132.33 रुपये की बचत होती है और स्वास्थ्य सेवा खर्च में 6.62 रुपये की कमी होती है. सूचना प्रौद्योगिकी/सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित सेवाओं के कर्मचारियों समेत 93 प्रतिशत लोगों का मानना है कि कंपनी को स्वास्थ्य संबंधी योजना को प्रायोजित करना चाहिए क्योंकि यह कर्मचारियों को इस दिशा में प्रेरित करने का एक कारक होगा.

ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.