एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर आखिरकार स्पेस से पृथ्वी पर वापस लौट आए हैं. अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर नौ महीने बिताने के बाद उनके शरीर में कुछ खास बदलाव आएंगे. सिर्फ इतना ही नहीं कई सारे स्वास्थ्य समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है. नासा के अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर ने अंतरिक्ष में 9 महीने बिताने के बाद आखिरकार पृथ्वी पर वापसी कर ली है. लेकिन पृथ्वी पर उन्हें हेल्थ से जुड़ी कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
कमजोर हड्डियों से जुड़ी परेशानी हो सकती है
कमज़ोर हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द जैसी दिक्कतें हो सकती हैं. सिर्फ इतना ही नहीं उन्हें बेबी फीट जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि उनके शरीर को वापस से ग्रैविटेशनल फोर्स के अनुसार सेट होने में टाइम लगेगा. 18 मार्च को शाम 6 बजे ईटी से ठीक पहले फ्लोरिडा के तट पर स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल में उतरे. जब क्रू ने उन्हें स्पेसएक्स के रिकवरी वेसल के डेक पर अंतरिक्ष यान से बाहर निकालने में मदद की. तो वे मुस्कुराए और हाथ हिलाया.
विलियम्स और विल्मोर पिछले जून में नासा गए थे
विलियम्स और विल्मोर पिछले जून में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचे और उन्हें लगभग एक सप्ताह तक वहां रहना था. वे बोइंग के स्टारलाइनर कैप्सूल में थ्रस्टर की समस्याएं और हीलियम लीक होने लगे थे. जिसके कारण उन्हें पृथ्वी की कक्षा में ही रहना पड़ा था.कुछ दिन पहले ऐसी न्यूज आई थी कि दोनों का वजन काफी तेजी से कम हो रहा है लेकिन विलियम्स ने उन अफवाहों का खंडन किया कि उनका वजन कम हो रहा है. उन्होंने कहा कि उनका सिर उनके शरीर के सापेक्ष बड़ा लग रहा था.
हड्डियों और मांसपेशियों का नुकसान
नासा के अनुसार अंतरिक्ष में हर महीने हड्डियां लगभग 1% कम घनी हो जाती हैं. खासकर पैरों, कूल्हों और रीढ़ की हड्डियां, जो पृथ्वी पर भारी काम करती हैं. मांसपेशियों को अंतरिक्ष में उतनी मेहनत करने की ज़रूरत नहीं होती, इसलिए वे भी कमज़ोर हो जाती हैं. मिशन खत्म होने के बाद यह सब गिरने, हड्डियों के टूटने, ऑस्टियोपोरोसिस और अन्य चिकित्सा समस्याओं का कारण बन सकता है.
इन प्रभावों का मुकाबला करने के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को अपनी हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत रखने के लिए अपने काम के हिस्से के रूप में हर दिन स्पेस में एक्सरसाइज करना चाहिए. लगभग दो घंटे, जिसमें कार्डियो और इम्युनिटी ट्रेनिंग शामिल है. लेकिन जब वे घर लौटते हैं. तो वे अभी भी इसका असर महसूस करते हैं.
पृथ्वी पर कम ऊंचाई
व्हिटसन ने कहा कि अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में बढ़ते हैं क्योंकि रीढ़ की हड्डी गुरुत्वाकर्षण के बिना फैलती है. वह लगभग एक इंच लंबी हो गई. जबकि नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री स्कॉट केली 2 इंच लंबे हो गए. रीढ़ की हड्डी की डिस्क फिर से संकुचित हो जाती है. इसलिए व्हिटसन को वापस आने पर पीठ दर्द जैसा अनुभव हो सकता है. नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री फ्रैंक रुबियो - जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 371 दिन बिताए. उन्होंने पीठ के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत की थी. माइक्रोग्रैविटी में इतने लंबे समय तक सहजता से तैरने के बाद वापस आने पर रीढ़ की हड्डी वास्तव में दिन के हर पल अपनी मुद्रा बनाए रखने की आदी नहीं होती है.
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आंख से जुड़ी दिक्कतें
अंतरिक्ष यात्रियों की आंखें और दिमाग की बनावट अंतरिक्ष में बदल जाती है क्योंकि गुरुत्वाकर्षण के बिना शरीर में तरल पदार्थ सिर की ओर ऊपर की ओर चले जाते हैं. जो आंखों पर दबाव डाल सकते हैं और आंख से जुड़ी समस्याएं हो सकती है.
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