Azam khan Bail: उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान 23 महीने बाद आज यानी मंगलवार (23 सितंबर) को जेल से बाहर आए. उनको सीतापुर जेल से रिहा किया गया. आइए आपको बताते हैं कि खराब खान-पान और हवा-पानी के साथ जेल में 23 महीने रहने के बाद कौन-कौन सी बीमारियां हो सकती हैं?
कौन-कौन सी बीमारिया हो सकती हैं?
जेल की जिंदगी आम जीवन से बिल्कुल अलग होती है. यहां न तो सही से खाना-पानी मिलता है, न ही साफ-सफाई का बेहतर माहौल. साथ ही भीड़भाड़, मानसिक तनाव और सीमित हेल्थ सुविधाएं मिलकर कैदियों की सेहत पर बुरा असर डालते हैं. यही कारण है कि लंबे समय (जैसे 23 महीने) तक जेल में रहने वाले कैदियों में कई तरह की बीमारियां पाई जाती हैं.
टीबी
जेलों में भीड़ ज्यादा और वेंटिलेशन कम होता है, जिसकी वजह से टीबी सबसे आम बीमारी है. WHO की रिपोर्ट के अनुसार जेल में रहने वालों में टीबी होने का खतरा आम लोगों से 10 से 20 गुना ज्यादा होता है.
स्किन डिजीज
साफ-सफाई की कमी और ज्यादा कैदियों के एक साथ रहने से स्केबीज, फंगल इंफेक्शन, खुजली और दाद जैसी स्किन प्रॉब्लम्स बहुत आम हैं.
मेंटल हेल्थ इश्यू
लंबे समय तक कैद रहने से डिप्रेशन, एंग्जायटी, पैनिक अटैक और यहां तक कि सिज़ोफ्रेनिया जैसी गंभीर मानसिक बीमारियां हो सकती हैं. भारत की नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन (NHRC) की रिपोर्ट में जेलों में मानसिक बीमारियों का उच्च स्तर दर्ज किया गया है.
पाचन संबंधी बीमारियां
गंदी और एक जैसी डाइट, कम पोषण और पानी की कमी से कब्ज, एसिडिटी, अल्सर और लिवर संबंधी बीमारियां आम हो जाती हैं.
सांस की बीमारी
धूल, नमी और गंदगी के कारण ब्रोंकाइटिस, अस्थमा और फेफड़ों से जुड़ी अन्य बीमारियां भी कैदियों में देखी जाती हैं.
हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज
लंबे समय तक स्ट्रेस, गलत खान-पान और शारीरिक गतिविधियों की कमी से हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी लाइफस्टाइल बीमारियां बढ़ सकती हैं.
जोड़ों और हड्डियों की समस्या
जेल की सीमित जगह और शारीरिक एक्टिविटी की कमी से शरीर में जकड़न, जोड़ों का दर्द और आर्थराइटिस जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं.
एनीमिया और कुपोषण
जेल का खाना अक्सर पौष्टिकता से भरपूर नहीं होता, जिससे आयरन, विटामिन और प्रोटीन की कमी हो जाती है. खासकर महिलाओं और युवा कैदियों में एनीमिया ज्यादा पाया जाता है.
आंख और दांतों की समस्या
लंबे समय तक सही हेल्थ चेकअप न मिलने से आंखों की रोशनी कम होना, दांतों में दर्द और मसूड़ों की समस्या भी आम हो जाती है.
क्या कहते हैं डॉक्टर?
जयपुर स्थित एसएमएस मेडिकल कॉलेज में कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मोहन बैरवा बताते हैं कि लंबे समय तक जेल में रहने वाले कैदियों को मानसिक तनाव, टीबी और स्किन डिजीज का खतरा सबसे ज्यादा रहता है. भीड़भाड़ और हेल्थ सर्विस की कमी इसकी मुख्य वजह है. ऐसे कैदियों की समय-समय पर मेडिकल स्क्रीनिंग और मानसिक स्वास्थ्य की काउंसलिंग जरूरी है.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.