Xeroderma Pigmentosum Causes: सूरज की रोशनी हमारे लिए काफी फायदेमंद होता है, यह विटामिन-D बनाने में मदद करती है और शरीर की कई जरूरी प्रक्रियाओं के लिए बेहद अहम है. लेकिन सोचिए, अगर किसी की सेहत ही उसे सूरज की रोशनी से दूर रहने पर मजबूर कर दे, तो जिंदगी कैसी होगी?. रिपोर्ट के अनुसार, स्पेन का 11 साल का लड़का, पोल डोमिंगुएज, यही झेल रहा है. उसके लिए गर्मियों की छुट्टियां बाहर खेलने का मौका नहीं, बल्कि घर के अंदर बंद रहने का समय होती हैं, क्योंकि सूरज की रोशनी उसके लिए जानलेवा साबित हो सकती है. पोल को जेरोडर्मा पिगमेंटोसुम नाम की एक दुर्लभ बीमारी है, जो उसकी स्किन और आंखों को सीधा असर पहुंचाती है. चलिए आपको बताते हैं कि आखिर यह बीमारी क्या होती है और इससे पीड़ित लोगों को क्या दिक्कत झेलनी पड़ती है.
क्या है जेरोडर्मा पिगमेंटोसुम
जेरोडर्मा पिगमेंटोसुम एक बहुत ही रेयर जेनेटिक समस्या है. इस बीमारी में शरीर में मौजूद वो सिस्टम ही काम करना बंद कर देता है, जो अल्ट्रावॉयलेट किरणों से हुए नुकसान की मरम्मत करता है. यानी अगर इस बीमारी से पीड़ित वाले व्यक्ति पर सूरज की रोशनी पड़ जाए, तो स्किन को हुआ नुकसान ठीक ही नहीं होता. यह समस्या तभी होती है जब बच्चे को माता-पिता दोनों से खराब जीन मिलें. इसलिए एक्सपी को ऑटोसोमल रिसेसिव बीमारी माना जाता है. इस बीमारी के साथ जीना आसान नहीं है. दिन का उजाला इनके लिए खतरा बन जाता है. सिर्फ कुछ मिनट की धूप भी इनकी त्वचा पर गंभीर जलन, फफोले या तेज दर्द दे सकती है. यूवी किरणें सिर्फ सूर्य से नहीं, बल्कि कुछ ट्यूबलाइट, लैम्प और टैनिंग बेड से भी निकलती हैं, इसलिए एक्सपी वाले लोगों को आर्टिफिशियल रोशनी से भी बचना पड़ता है.
कैसे दिखते हैं इसके शुरुआती असर?
धूप के हल्के संपर्क से भी एक्सपी के मरीजों की त्वचा पर जल्दी झाइयां, काले-सफेद धब्बे और अनियमित पिगमेंटेशन होने लगता है. समय के साथ ये निशान और गहरे या हल्के हो जाते हैं. सबसे बड़ा खतरा यह है कि यूवी नुकसान की मरम्मत नहीं होने के कारण उन्हें कम उम्र में ही स्किन कैंसर हो सकता है. बेसल सेल कार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और मेलेनोमा तीनों तरह के कैंसर XP वाले लोगों में कई गुना ज़्यादा देखे जाते हैं.
कैसे होती है इस बीमारी में रूटीन?
XP वाले लोग दिन में बाहर नहीं निकल सकते. उन्हें पूरी सुरक्षा तैयार करनी पड़ती है-
- सिर से पैर तक ढके कपड़े
- चौड़ी टोपी
- UV प्रूफ चश्मा
- हाई SPF और ब्रॉड स्पेक्ट्रम वाला सनस्क्रीन
- UV फिल्टर लगी खिड़कियां
और यह सब रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन जाता है. कई परिवार रोशनी कम होने वाले समय में घूमने-फिरने या जरूरी काम करने की कोशिश करते हैं, ताकि बीमारी का खतरा कम रहे.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.