Myths Around Stroke: स्ट्रोक होने के जोखिम संबंधी बहुत ज्यादा गलतफहमी और मिथक हैं. हालांकि, इस मुद्दे को पूरी गंभीरता से लिया जाना चाहिए, लेकिन उन तथ्यों पर भी विचार करना महत्वपूर्ण है जो इस भयानक स्वास्थ्य समस्या पर हावी हैं, ताकि बेहतर तरीके से उसको रोकने और नियंत्रित करने के उपाय किए जा सकें. 

1. मिथक- स्ट्रोक सिर्फ बुजुर्गों को होता हैये सच है कि स्ट्रोक की घटना उम्र के साथ बढ़ती है. लेकिन 21 फीसद स्ट्रोक ब्लीडिंग, 16 फीसद खून के थक्के जमने के कारण 45 साल से नीचे की उम्र में होता है. शिशुओं और बच्चों समेत सभी उम्र के लोगों को स्ट्रोक होने का खतरा रहता है. गौर करनेवाली बात है कि अलग-अलग आयु समूहों के जोखिम फैक्टर अलग-अलग होते हैं. 

2. मिथक- स्ट्रोक दुर्लभ हैबात जब स्ट्रोक की हो, तो स्थिति की गंभीरता का उसकी दुर्लभता से संबंध नहीं है. करीब 25 वर्ष से ज्यादा उम्र के व्यस्कों की एक चौथाई को जिंदगी में स्ट्रोक होगा. दुनिया भर में स्ट्रोक मौत का दूसरा प्रमुख कारण है. हर साल करीब 5.5 मिलियन लोग स्ट्रोक की चपेट में आते हैं. स्ट्रोक लंबे समय की गंभीर अपंगता का भी प्रमुख कारण है. 

3. मिथक- स्ट्रोक का इलाज नहीं किया जा सकताज्यादातर स्ट्रोक इस्कीमिक होते हैं, जिसका कारण ब्लड क्लॉट्स होता है और उसका प्रभावी तरीके से इलाज किया जा सकता है. अगर कोई शख्स स्ट्रोक का लक्षण शुरू होने के 4.5 घंटों में अस्पताल आता है, तो इलाज के जरिए स्थिति को और खराब होने से रोका जा सकता है. स्ट्रोक का लक्षण शुरू होने पर समय बहुत महत्व रखता है. ब्लड क्लॉट्स के कारण स्ट्रोक का इलाज छोड़ने पर हर मिनट में 1.9 मिलियन ब्रेन सेल्स खत्म होते हैं. 

4. मिथक- सभी स्ट्रोक के पीछे ब्लड क्लॉट्स कारण हैंकरीब 80 फीसद स्ट्रोक के मामले ब्लड क्लॉट्स के कारण होते हैं, जबकि 20 फीसद रक्त वाहिकाओं के टूटने से, जिससे दिमाग में ब्लीडिंग होती है. ब्लड क्लॉट्स के कारण स्ट्रोक खुद दिमाग में बन सकता है, और स्थानीय स्तर पर रक्त प्रवाह में बाधा पहुंचाता है. आम तौर से, ये गर्दन या दिल की रक्त वाहिकाओं में बनता है. 

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