नोएडाः डॉक्टर्स का कहना है कि प्रेग्नेंसी में स्मोकिंग से शिशु को अस्थमा होने का खतरा बढ़ जाता है. दूषित वातावरण के कारण यह बीमारी किशोरों, वयस्कों या अन्य लोगों को भी हो सकती है. व्यक्ति जहां रहता है यदि वहां का वातावरण धूल और गंदगी भरा हो तो दमा होने की आशंका बहुत बढ़ जाती है.


क्यों होता है अस्थमा-
विश्व दमा दिवस (World Asthma Day) के अवसर पर जेपी हॉस्पिटल के पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के सीनियर डॉ. ज्ञानेंद्र अग्रवाल ने कहा कि घर की चीजें जिनसे मरीज को एलर्जी होती हो या एलर्जी के अन्य कारक जैसे कॉकरोच, जानवरों के बालों की डेंड्रफ और फफूंद भी अस्थमा होने के कारण हो सकते हैं. कुछ विशिष्ट प्रकार के वायरस के कारण भी अस्थमा हो सकता है.

डॉ. ज्ञानेंद्र का कहना है कि आनुवांशिक या अन्य वजह जैसे घर के पालतू जानवर, बाहर का वायु प्रदूषण, सुगंधित सौन्दर्य प्रसाधन, सर्दी, फ्लू, ब्रोंकाइटिस, साइनोसाइटिस इंफेक्शसन, धूम्रपान, व्यक्ति विशेष को कुछ विशेष खाद्य पदार्थों से एलर्जी, महिलाओं में हार्मोनल बदलाव एवं कुछ विशेष प्रकार की दवाएं भी अस्थमा का कारण बन सकती हैं.

अस्थमा होने पर क्या होता है-
डॉ. ज्ञानेंद्र ने कहा कि यह बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है. जब किसी व्यक्ति के श्वसन के रास्ते में सूजन आ जाती है तो श्वसन मार्ग छोटा हो जाता है और छाती में ऑक्सीजन उचित मात्रा में नहीं पहुंच पाती है. व्यक्ति की सांसें उखड़ने लगती है. रोग के कारण मरीज छोटी-छोटी सांसें लेता है और छाती में कसाव महसूस करता है. मरीज की सांसें फूलने लगती हैं और वह बार-बार खांसने लगता है.

अस्थमा के लक्षण-
अगर सांस से संबंधित तकलीफ, सीने में जकड़न, सांसों में घरघराहट, सांस तेज लेते हुए पसीना आना, बेचैनी महसूस होना, सिर भारी होना, जोर-जोर से सांस लेने के कारण थकावट होना, उल्टी होना और खांसी होने जैसा महसूस हो, तो ये अस्थमा के लक्षण हो सकते हैं. इस बीमारी के कारण रोगी को बहुत अधिक खांसी होती है. खांसी द्वारा मरीज अपनी छाती के कफ को बाहर लाने की कोशिश करता है. अधिकांशत: अस्थमा सुबह व्यायाम के समय एवं रात में लोगों को परेशान करता है.

लंबे समय तक चलती हैं दवाएं-
दमा श्वसन तंत्र में लंबे समय तक रहने वाली बीमारी है. इस बीमारी में व्यक्ति का सांस लेना मुश्किल हो जाता है. कई बार ऐसा देखा गया है कि अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति डॉक्टर के परामर्श से दवाई या इनहेलर तो ले लेते हैं लेकिन स्थिति में थोड़ा सुधार होते ही दवाई लेना छोड़ देते हैं. यह जोखिम भरा हो सकता है.