Japanese Encephalitis Vaccine: कोविड के साथ ही डेंग, मलेरिया के केस देश में देखने को मिल रहे हैं. डेंगू के कारण लोगों को अस्पताल में भर्ती होने तक की नौबत आ रही है. देश में इस साल जापानी एन्सेफलाइटिस वायरस ने दस्तक दे दी है. पिछले तीन साल में पहली बार पूणे में पहला मामला दर्ज किया गया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 4 साल के बच्चे की तबियत बिगड़ने के कारण 9 दिनों तक वेंटीलेटर सपोर्ट और 15 दिनों तक आईसीयू में रहा. जापानी एन्सेफलाइटिस को कई बार बेहद घातक माना जाता है. यह जानलेवा साबित होता है. डॉक्टरों का कहना है कि इसके लक्षणों को जानकर बचाव करने की जरूरत है. 


क्या है Japanese Encephalitis?


जापानी एन्सेफलाइटिस वायरस के कारण होने वाला एक संक्रमण है. यह डेंगू, येलो फीवर और वेस्ट नाइल वायरस से संबंधित है. यह वायरस संक्रमित क्यूलेक्स प्रजाति के मच्छरों और ज्यादातर क्यूलेक्स ट्राइटेनियोरहिंचस के काटने से मनुष्यों में फैलता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दक्षिण-पूर्व एशिया और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र के 24 देशों में जापानी एन्सेफलाइटिस वायरस का फैलाव अधिक है. 


क्या होते हैं Japanese Encephalitis Symptoms?


जिस चार साल के बच्चे में Japanese Encephalitis की पुष्टि हुई. उसने बुखार, सिरदर्द, कमजोरी और दौरा पड़ने की शिकायत की थी. इसके सैंपल लेकर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजे गए थे. जहां वायरस होने की पुष्टि हुई. अब इसके लक्षणों की बात करें तो इन्फेक्शन होने पर बुखार और सिरदर्द ही अधिक होता है. लेकिन यदि स्थिति गंभीर है तो तेज बुखार, सिरदर्द, गर्दन में अकड़न, दौरा पड़ना, पैरालाइस, कोमा में जाना और अंत में डेथ तक हो सकती है. 4 से 14 दिन के बीच जापानी एन्सेफलाइटिस के लक्षण दिखाई देने शुरू हो जाते हैं. 


कर्नाटक में शुरू हुआ वैक्सीनेशन अभियान


जापानी एन्सेफलाइटिस के खतरे को देखते हुए देश के अलग अलग हिस्सों में वैक्सीनेशन अभियान शुरू करने की तैयारी है. कर्नाटक में 48 लाख बच्चों के लिए जापानी इंसेफेलाइटिस वैक्सीन अभियान शुरू हो गया है. वर्तमान में, जेनेवैक की ओर से कर्नाटक के 10 जिलों में बच्चों को मुफ्त वैक्सीन दी जा रही है. यह वैक्सीन ड्राइव 3 सप्ताह तक चलेगी. जापानी एन्सेफलाइटिस वायरस के एक भारतीय स्ट्रेन (कोलार- 821564एक्सवाई) से तैयार की गई सिंगल डोज वैक्सीन है. आंकड़ों के मुताबिक, देश में हर साल करीब 68,000 मामले जापानी एन्सेफलाइटिस के सामने आते हैं.


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