भारत में सर्दियों ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं. इसके साथ ही लेकर सर्दियां कई बीमारियां भी लेकर आई हैं. सर्दी, जुखाम, खांसी, बदन दर्द जैसी बीमारियां ठंड के मौसम में सबसे आम समस्या है. बड़ी उम्र और व्यस्क लोग इन सभी बीमारियों का सामना कर लेते हैं लेकिन छोटे बच्चों को काफी तकलीफ का सामना करना पड़ता है. ठंड के मौसम में बच्चों को बुखार, खांसी, जुखाम की वजह से नाक बंद होना, गले में बलगम जमना इत्यादि समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है जो माता-पिता के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय बन जाता है.

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जब घर में बच्चों को ठंड के मौसम में बीमारियां जकड़ लेती हैं तो माता-पिता तुरंत घरेलू या आयुर्वेदिक उपचार में लग जाते हैं, जिसमें सबसे प्रमुख है बच्चों को भाप देना. आयुर्वेद और मेडिकल साइंस दोनों का मानना है कि अगर छोटे बच्चे ठंड की वजह से बीमार हो जाते हैं तो भाप देना सबसे असरदार उपचार है क्योंकि भाप लेने से नाक और गले की सूजन कम होती है, बलगम पतला होकर आसानी से बाहर आता है और सांस लेने का मार्ग खुल जाता है. डॉक्टर भी बच्चों को गर्म पानी की भाप देने की सलाह देते हैं लेकिन पैरेंट्स को अपने बच्चों को भाप देने में कुछ सावधानियां जरूर रखनी चाहिए.

बच्चों को भाप क्यों देना चाहिए?

भारत में ठंड से होने वाली बीमारियों को कम करने या उनसे बचाव के लिए डॉक्टर एक ही सलाह देते हैं कि नियमित तौर पर भाप लेते रहें. भाप लेना (स्टीम इनहेलेशन) सर्दी-जुखाम, गले की खराश और बंद नाक में बहुत फायदेमंद है क्योंकि गर्म, नम हवा नाक और गले की सूजन को कम करती है, बलगम को पतला करके उसे बाहर निकालने में मदद करती है और सांस लेने के रास्ते को खोल देती है जिससे तुरंत आराम मिलता है. सर्दियों में होने वाले सिर दर्द में भी काफी आराम मिलता है. डॉक्टरों के अनुसार, भाप देना बच्चों के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है क्योंकि बच्चे अपनी तकलीफ को सही से बता नहीं पाते जिसकी वजह से आम बीमारी बड़ा रूप ले सकती है इसलिए बच्चों को हल्की भाप देना जरूरी है जिससे बच्चे तंदुरुस्त रहें और उनको नींद भी अच्छे से आए.

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बच्चों को दिन में कितनी बार भाप देना चाहिए?

कई पैरेंट्स एक सामान्य गलती करते हैं कि वे दिन में कई बार अपने बच्चों को भाप देते हैं जो बिल्कुल गलत है. एक दिन में कई बार भाप लेने की वजह से छोटे बच्चों को दिक्कतें हो सकती हैं जैसे बार-बार भाप देने से गले की नमी खत्म हो जाती है जिससे खराश और जलन जैसी समस्या हो सकती है. आपको यह ध्यान रखना होगा कि बच्चे को दिन में सिर्फ 2–3 बार ही 5 से 6 मिनट तक भाप देना चाहिए उससे ज्यादा नहीं. भाप का तापमान सामान्य या मध्यम होना चाहिए, जिससे बच्चा आसानी से इसे ले सके. यदि 2–3 दिनों तक भाप देने के बाद भी आराम न मिले, बच्चे को तेज बुखार, सीने में घरघराहट, बहुत तेज खांसी या सांस फूलने जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना जरूरी है.

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